श्योपुर : जिले मे प्राइवेट पब्लिशर की किताबें लगाने वाले स्कूलों के खिलाफ अब कलेक्टर अर्पित वर्मा द्वारा कड़ा कदम उठाते हुए एनओसी रद्द करने की बात कही है. प्राइवेट स्कूलों द्वारा पेरेंट्स से जहां बच्चों को पढ़ाने के लिए ट्यूशन फीस, डेवलपमेंट फंड, एनुअल फंड, कंप्यूटर एजुकेशन फंड तो लिए जाते ही हैं।वहीं, प्राइवेट पब्लिशर की वो किताबें लगाई जाती हैं. जो 300-500 रुपए तक की मिली हैं। यही नहीं हर साल मामूली सा बदलाव कर नई किताबें लगा दी जाती हैं.
ऐसे में पेरेंट्स को मजबूरन नई किताबें हर साल खरीदनी पड़ती है. ये किताबें अगर एनसीईआरटी या सीआईएससीई द्वारा ही प्रकाशित की जाने वाली हों तो पेरेंट्स को एक किताब के लिए 500 के बजाए सिर्फ 50 रुपए की खर्चने होंगे. वहीं, पेरेंट्स पर पड़ने वाले अतिरिक्त बोझ भी कम हो जाएगा.
शिक्षा विभाग को हर साल पेरेंट्स दे रहे शिकायतें, कलेक्टर के उठाया बड़ा कदम
हर साल पेरेंट्स द्वारा इस मुद्दे पर कई शिकायतें शिक्षा विभाग, सरकार और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को दी जाती हैं. लेकिन पेरेंट्स की शिकायत के हल के लिए सख्त कदम नहीं उठते. इसी को देखते हुए इस बार कलेक्टर द्वारा 2025-26 सेशन की शुरुआत से पहले ही आदेश जारी किए हैं. ये आदेश सीबीएसई, आईसीएसई, पीएसईबी से मान्यता प्राप्त सभी प्राइवेट स्कूलों पर लागू होगा.
निःशुल्क एडमिशन के साथ संपूर्ण पढ़ाई निःशुल्क कलेक्टर द्वारा एनसीआरटी की किताबें आवश्यक रूप से चलाई जाने के
नवाचार के बाद अब गरीब बच्चों के लिए न सिर्फ पढ़ाई सस्ती और सुलभ हो सकती है बल्कि आरटीई के दायरे में आने वाले बच्चों के लिए पूरी शिक्षा निःशुल्क हो जाएगी. ज्ञात हो कि प्रायवेट स्कूलों में आरटीई के दायरे में आने वाले बच्चों को अपने स्कूल की प्रारंमिक शाला में 30 फीसद बच्च्चों को आवश्यक रूप से निःशुल्क प्रवेश देने के निर्देश है.
संचालकों द्वारा इन बच्चों को निःशुल्क एडमिशन के बदले सरकार से फीस प्रतिपूर्ति राशि के रूप में रुपए दिए जाते हैं. अब गरीब बच्चों के निशुल्क एडमिशन के साथ पढ़ाई निशुल्क होने और किताबें भी सरकार से निःशुल्क मिलने से पूरी पढ़ाई व्यवस्था निशुल्क हो जाएगी.
अन्य सामग्री खरीद पर भी नहीं रहेगी बंदिश
कलेक्टर द्वारा जो आदेश जारी किया गया है उसके तहत किताबों के अलावा गणवेश, टाई, बेल्ट, जूते एवं अन्य शैक्षणिक सामग्रियों को किसी निधर्धारित दुकान एवं विद्यालयो से कय नही कराया जा सकेगा. पुस्तक विक्रेताओं पर एनसीआरटी की पुस्तके अनिवार्य रूप से उपलब्ध रहेगी। जो बुक सेलर एनसीआरटी किताबें विक्रय नहीं करेगा उसके खिलाफ एसडीएम दंडात्मक कार्रवाई कर सकते हैं.
प्राइवेट स्कूल चला सकते हैं अपनी व्याकरण किताब
प्राइवेट स्कूल संचालकों की मांग पर स्कूल संचालकों को व्याकरण किताब चलाने की अनुमति दी जा सकती है. पुस्तको में व्याकरण का समावेश पृथक से नहीं होता है, ऐसी स्थिति में विद्यालय अपने स्तर से ऐसी व्याकरण की पुस्तक जो कक्षा 1 से कक्षा 5 तक के लिए एक पुस्तक, कक्षा 6 से 8 तक के लिए एक पुस्तक तथा कक्षा 9 से 12 तक के लिए एक पुस्तक उपयोग हेतु छात्रों को क्रय करा सकेंगे.
कलेक्टर अर्पित वर्मा द्वारा जारी किया आदेश
कलेक्टर अर्पित वर्मा द्वारा जारी आदेश के अनुसार श्योपुर जिले के अंतर्गत सीबीएसई एवं अन्य बोर्ड से प्राप्त मान्यता के आधार पर संचालित सभी अशासकीय विद्यालय कक्षा 1 से लेकर कक्षा 12 तक में एनसीआरटी की पुस्तके ही कोर्स के रूप में चलायेंगे. मध्यप्रदेश निजी विद्यालय अधिनियम 2017 एवं नियम 2020 के तहत जिला स्तरीय समिति की बैठक में निर्णय लिया गया है कि कक्षा 1 से कक्षा 12 तक की कक्षाओं में एनसीआरटी. अथवा राज्य शिक्षा केन्द्र स्टेट बोर्ड द्वारा प्रकाशित पुस्तको को चलाया जायगा.
कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक राज्य शिक्षा केन्द्र एनसीआरटी तथा कक्षा 9 से कक्षा 12 तक के लिए एनसीआरटी पुस्तके लागू दिन रहेंगी। प्री-प्रायमरी केजी-1 एवं केजी-2 के लिए एनसीआरटी पब्लिकेशन की उपलब्ध पुस्तके ही उपयोग में लाई जायेगी.
जिला शिक्षा अधिकारी बोले निर्देश का पालन नहीं करने पर स्कूलों की मान्यता रद्द की जायेगी
एमएल गर्ग डीईओ श्योपुर ने बताया कि कलेक्टर के निर्देश पर सभी प्राइवेट स्कूल संचालक को निर्देशित कर दिया गया है कि वह सिर्फ एनसीआरटी का पाठ्यक्रम ही चलाए दूसरा पाठ्यक्रम चलाने वालों की मान्यता निरस्त की जाएगी.बुक सेलरों को भी एनसीआरटी की किताबे हर हाल में अपनी दुकान पर रखने के निर्देश दिए गए है.