दिसंबर 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना के बारे में की गई टिप्पणी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को जमकर फटकार लगाई और कहा कि एक सच्चा भारतीय यह सब नहीं कहेगा. सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी की हुई खिंचाई पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी बयान सामने आया है और उन्होंने आ बैल मुझे मार वाली कहावत याद दिला दी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को संसद भवन में हुई एनडीए की बैठक में राहुल गांधी को लेकर कहा कि इतनी बड़ी फटकार कोई हो ही नहीं सकती, जो कल सुप्रीम कोर्ट ने लगाई है. इसको लेकर हम क्या कह सकते हैं, जब सुप्रीम कोर्ट ने ही कह दिया है. ये तो अपने पैर पर पत्थर मारना ही नहीं, बल्कि आ बैल मुझे मार वाली बात है.
राहुल के बचाव में उतरी कांग्रेस
वहीं, राहुल गांधी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से की गई टिप्पणी को लेकर कांग्रेस बचाव करती नजर आ रही है. उनकी बहन प्रियंका गांधी ने दावा किया है कि वे कभी सेना के खिलाफ नहीं बोल सकते हैं, जबकि केसी वेणुगोपाल ने आरोप लगाया है कि हमे सवाल पूछने पर देशद्रोही करार दिया जाता है.
प्रियंका गांधी ने संसद के बाहर कहा, ‘वे (सुप्रीम कोर्ट) यह तय नहीं करते कि एक सच्चा भारतीय कौन है? यह विपक्ष के नेता का काम है, सरकार को चुनौती देने के लिए सवाल पूछना उनका कर्तव्य है. मेरा भाई सेना के खिलाफ कभी कुछ नहीं कहेगा. वो सेना का सर्वोच्च सम्मान करते हैं.’ वहीं, केसी वेणुगोपाल ने कहा, ‘राहुल गांधी जिस बात पर चर्चा कर रहे हैं, वही हर राष्ट्रवादी भारतीय की सोच है. जब भी हम संसद के अंदर सवाल पूछते हैं, तो कोई जवाब नहीं मिलता और जब भी हम संसद के बाहर राष्ट्रहित से जुड़ा कोई सवाल पूछते हैं, तो हमें देशद्रोही करार दे दिया जाता है. हम ही सच्चे भारतीय हैं जो भारत के लिए सवाल उठाते हैं.’
सुप्रीम कोर्ट ने क्या की टिप्पणी?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने राहुल गांधी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उनसे पूछा, ‘वह कैसे कह सकते हैं कि 2000 किलोमीटर जमीन चीनियों ने कब्जा कर ली है?’ राहुल गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि अगर वह ये बातें नहीं कह सकते, तो वह विपक्ष के नेता भी नहीं हो सकते. पीठ ने उनसे पूछा, ‘संसद में कहिए, सोशल मीडिया पर कहने की क्या जरूरत है?’
पीठ ने कहा कि जब सीमा पार कोई संघर्ष चल रहा हो तो इस तरह की बात एक सच्चा भारतीय नहीं कहेगा. उन्होंने पूछा, ‘क्या आप ये सब कह सकते हैं? आप संसद में सवाल क्यों नहीं पूछ सकते?’ हालांकि, पीठ ने मानहानि मामले में आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया. मामले की सुनवाई तीन हफ्ते बाद तय की गई है.