‘बिहार-UP आओ, पटक-पटक के मारेंगे…’, BJP सांसद निशिकांत दुबे की राज ठाकरे को खुली चुनौती

राज ठाकरे के ‘मारो लेकिन वीडियो मत बनाओ’ वाले बयान पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे पर ‘सस्ती राजनीति’ करने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘आप लोग हमारी कमाई पर पलते हो. आपके पास कौन सी इंडस्ट्री है?’

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निशिकांत दुबे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) और शिवसेना (उद्धव गुट) से कहा, ‘अगर आपके अंदर हिम्मत है और आप हिंदी बोलने वालों को मार सकते हो, तो जाकर उर्दू, तमिल और तेलुगू बोलने वालों को भी मारो. अगर खुद को इतना बड़ा ‘बॉस’ समझते हो, तो महाराष्ट्र से बाहर आओ, बिहार, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में आओ, ‘तुमको पटक पटल के मारेंगे.’

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‘ठाकरे बंधु सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश कर रहे’
बीजेपी सांसद ने यह भी कहा कि वे मराठी भाषा और महाराष्ट्र के लोगों का सम्मान करते हैं, जिन्होंने भारत की आजादी में बड़ा योगदान दिया है. लेकिन आगामी बीएमसी चुनाव को लेकर ठाकरे बंधु सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. निशिकांत दुबे ने चुनौती देते हुए कहा, ‘अगर आपको अपनी ताकत पर भरोसा है, तो माहीम दरगाह के सामने जाओ और किसी हिंदी या उर्दू बोलने वाले को मार कर दिखाओ.’

कैसे हुई भाषा विवाद की शुरुआत?
महाराष्ट्र में यह विवाद तब भड़का जब राज्य सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत पहली से पांचवीं कक्षा तक मराठी और अंग्रेजी के साथ हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने का आदेश जारी किया. सरकार के इस फैसले का राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे दोनों ने जोरदार विरोध किया.

राज ठाकरे ने इसे ‘हिंदी थोपने की कोशिश’ करार देते हुए साफ कहा, ‘महाराष्ट्र में मराठी ही एकमात्र एजेंडा है.’ इस विरोध को उनके समर्थकों ने सड़कों पर उतारते हुए और उग्र रूप दिया. उद्धव ठाकरे ने भी इस नीति को महाराष्ट्र की भाषाई पहचान के खिलाफ बताया और सरकार से इसे तुरंत वापस लेने की मांग की. जनता के बढ़ते दबाव और राजनीतिक तूफान को देखते हुए राज्य सरकार को अंततः यह आदेश वापस लेना पड़ा.

दोनों नेताओं ने इसे अपनी जीत बताया
यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के नेता राज ठाकरे हिंदी भाषा के विरोध को लेकर एकजुट नजर आ रहे हैं. मराठी अस्मिता के नाम पर दोनों नेताओं ने 5 जुलाई 2025 को मुंबई में एक संयुक्त रैली आयोजित की, जिसे ‘मराठी विजय दिवस’ के रूप में मनाया गया. यह रैली शुरुआत में महाराष्ट्र सरकार द्वारा स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने के फैसले के खिलाफ थी. हालांकि, बाद में जब सरकार ने यह नीति वापस ले ली, तो इस विरोध को एक ‘जीत के उत्सव’ में बदल दिया गया. ठाकरे बंधुओं ने इसे मराठी गौरव की जीत बताया और दावा किया कि जनता की एकजुटता ने सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया.

 

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