नवरात्रि महोत्सव के दौरान जहां सड़कों पर भारी भीड़भाड़ और वाहनों का दबाव रहा, वहीं दूसरी ओर दुर्ग यातायात पुलिस ने अपनी संवेदनशीलता और समर्पण का परिचय देते हुए ऑपरेशन सुरक्षा के अंतर्गत कई मानवीय पहल कीं। इन कार्रवाईयों ने साबित किया कि पुलिस केवल कानून-व्यवस्था की रखवाली ही नहीं, बल्कि संकट की घड़ी में जनसेवा का भी भरोसेमंद सहारा है।
शनिवार 27 सितंबर को दुर्ग के यशोदानंदन अस्पताल में भर्ती 15 दिन की बच्ची भारती सिंह गंभीर श्वसन समस्या से जूझ रही थी। चिकित्सकों ने तुरंत उसे रायपुर के बाल गोपाल अस्पताल रेफर किया। इस दौरान दुर्ग-रायपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारी यातायात दबाव था।
हालात की गंभीरता समझते हुए यातायात पुलिस ने तुरंत ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया और एम्बुलेंस को पुलिस वाहन की पायलटिंग दी। मार्ग में जगह-जगह यातायात नियंत्रित किया गया, जिससे एम्बुलेंस सुरक्षित और समय पर रायपुर अस्पताल पहुंची। इस त्वरित कार्रवाई से बच्ची को समय रहते जीवनरक्षक उपचार मिल सका।
यही नहीं, भीड़ में खोए बच्चों को परिजनों से मिलाना भी पुलिस की सतर्कता का बड़ा उदाहरण रहा। 26 सितंबर को नेहरू नगर हाईवे पर पुलिस को 11 वर्षीय सतीश मारकंडेय अकेला मिला। वह अपनी मां के साथ दुर्गा पूजा की झांकी देखने आया था और भीड़ में उनसे बिछड़ गया था। पुलिस ने पूछताछ में मिले अधूरे मोबाइल नंबर को व्यवस्थित कर उसकी मां से संपर्क किया और सत्यापन के बाद बच्चे को सुरक्षित सुपुर्द कर दिया।
इसी तरह 25 सितंबर को भिलाई के बीएसएनएल चौक पर ड्यूटी के दौरान यातायात पुलिस को 6 वर्षीय बालक प्रणव ध्रुव मिला। बच्चे से बातचीत कर उसके परिजनों का पता लगाया गया और सत्यापन के बाद उसे परिवार के हवाले किया गया।
इन सभी घटनाओं ने यह दर्शाया कि दुर्ग यातायात पुलिस की पेट्रोलिंग और चेकिंग टीमें न केवल सतर्क हैं, बल्कि मानक संचालन प्रक्रिया के तहत त्वरित कार्रवाई करने में सक्षम भी हैं। आपातकालीन सेवा और मानवीय संवेदनशीलता का यह संगम ऑपरेशन सुरक्षा की सफलता को प्रमाणित करता है।