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दुर्ग सेंट्रल जेल में वसूली की शिकायत, आईजी से गुहार, जेल अधीक्षक ने क्या कहा, जानिए

दुर्ग : छत्तीसगढ़ की दुर्ग सेंट्रल जेल से छूटने के बाद भिलाई के जामुल निवासी एन सुनील नाम के युवक ने आईजी रामगोपाल गर्ग से लिखित शिकायत की है. उसने आरोप लगाया है कि जेल में सुविधाओं के लिए मुख्य प्रहरी रमेश बारसे और कैदी दीपक नेपाली उसके साथ मारपीट करते थे, साथ ही दबाव बनाकर चक्कर अधिकारी के लिए स्कूटी भी खरीदवाया. शिकायत मिलते ही तत्काल आईजी रामगोपाल गर्ग ने इस पर संज्ञान लिया है.

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दोषी होने पर कार्रवाई का दिया भरोसा : दुर्ग सेंट्रल जेल अधीक्षक मनीष संभाकर ने बताया, ”शिकायत की कॉपी हमें भी आईजी ऑफिस से मिली है. संबंधित सेक्टर प्रभारी का चार्ज मुख्य प्रहरी रमेश बारसे के पास था, उनको हटाया गया है, उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है. जांच में यह पाया जाता है कि वह दोषी हैं तो उन पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी.”

दुर्ग सेंट्रल जेल अधीक्षक मनीष संभाकर के मुताबिक, दीपक नेपाली पर पहले भी प्रकरण दर्ज थे, पहले भी जेल स्थानांतरण के लिए प्रयास किया गया था. हमने फिर आवेदन लगाया है. हमें उम्मीद है कि जल्द ही जेल ट्रांसफर के लिए अभिमत आ जाएगा.

जेल में किसी भी प्रकार का स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं”: मनीष संभाकर ने यह भी कहा कि जेल में किसी भी प्रकार का स्पेशल ट्रीटमेंट या विशेष सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. सभी लोगों को समान ट्रीट किया जाता है. लगातार विधिक सेवा प्राधिकरण के सेक्रेटरी विजिट करते हैं. अभी डिस्ट्रिक्ट जज ने विजिट किया. जेल की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया. किसी तरह की कोई शिकायत नहीं मिली है.

किसी को शिकायत करना होता है तो वह बता सकता है. हर सोमवार को बंदियों के लिए साप्ताहिक परेड आयोजित होती है. इसमें बंदी को कोई समस्या है तो वह बताता है और उसका निराकरण भी किया जाता है. : मनीष संभाकर, जेल अधीक्षक, दुर्ग सेंट्रल जेल

“हम लगातार तलाशी अभियान चला रहे”: दुर्ग सेंट्रल जेल अधीक्षक मनीष संभाकर ने यह भी कहा कि जेल के ऊपर सवाल नहीं उठते, जेल में शिकायतें होती रहती हैं. बहुत सारी शिकायत आपसी दुश्मनी की भी होती है. लगातार हमें शिकायतें मिली हैं, जिसमें जांच की गई है.

हम लगातार तलाशी अभियान चला रहे हैं. फिलहाल जेल के अंदर मोबाइल चलाने की सीधी शिकायत हम तक नहीं पहुंची है. हम लगातार कार्रवाई कर रहे हैं : मनीष संभाकर, जेल अधीक्षक, दुर्ग सेंट्रल जेल

दुर्ग सेंट्रल जेल अधीक्षक के मुताबिक तीन चार प्रकरण ऐसे मिले जिसमें शिकायतकर्ता को पत्र भेजा गया, लेकिन वह नहीं आया. जब कभी शिकायतकर्ता मिला भी, वह गवाही देने पहुंचा, उसमें यह तथ्य भी सामने आया कि उसने शिकायत ही नहीं की थी. फिर भी हम लगातार प्रायमरी कार्रवाई कर रहे हैं. जो प्रकरण हमारी जेल से संबंधित होते हैं, उसमें कार्रवाई की जाती है.

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