पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी इन दिनों दिल्ली के मजनूं का टीला इलाके में बेहद डरे और चिंतित हैं. वजह है भारत सरकार का ताज़ा फैसला, जिसमें पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा 27 अप्रैल से रद्द किए जाने की बात कही गई है. हालांकि सरकार ने साफ किया है कि जो हिंदू पाकिस्तानी नागरिक पहले से लॉन्ग टर्म वीज़ा (LTV) पर हैं, उनका वीज़ा वैध रहेगा. फिर भी शरणार्थियों में डर का माहौल बना हुआ है क्योंकि उनके वीज़ा हर दो साल में रिन्यू होते हैं और अभी कई लोगों की नागरिकता की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है.
एक-दो महीनों में ही पाकिस्तान से आए कई परिवार
मजनूं का टीला में हिंदू शरणार्थी समुदाय के प्रमुख सोना दास ने बताया कि कई परिवार कई सालों से दिल्ली में रह रहे हैं और हर दो साल बाद वीज़ा का रिन्यूअल कराते हैं. कुछ परिवार तो पिछले एक-दो महीनों में ही पाकिस्तान से आए हैं और वे सिग्नेचर ब्रिज के नीचे या कैंपों में रह रहे हैं.
शरणार्थियों से कागज़ात मांगे गए हैं
हाल ही में पुलिस ने दस्तावेजों की जांच के लिए शरणार्थियों से कागज़ात मांगे हैं. पुलिस का कहना है कि यह सिर्फ जांच के लिए है, किसी को परेशान नहीं किया जाएगा. लेकिन शरणार्थी डरे हुए हैं कि कहीं उन्हें वापस पाकिस्तान न भेज दिया जाए, जहां उनके लिए कोई घर या सुरक्षित भविष्य नहीं है.
‘दिल्ली से भी निकाला गया तो हम कहां जाएंगे’
कृष्ण लाल अपने परिवार के साथ रहते हैं, वे कहते हैं कि उन्होंने और उनके परिवार ने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया है, लेकिन अभी तक मंजूरी नहीं मिली है. वही चाय बेचने वाले कनैया कहते हैं कि ‘अगर दिल्ली से भी निकाला गया तो हमारे पास कोई रास्ता नहीं बचेगा.’
27 अप्रैल की मिली है डेडलाइन
पिछले महीने ही 186 पाकिस्तानी हिंदुओं को नागरिकता दी गई थी, पर बहुत से अब भी इंतजार कर रहे हैं. सरकार ने राज्यों को निर्देश दिया है कि तय समय के बाद कोई पाकिस्तानी नागरिक अवैध रूप से न रहे. अब जब 27 अप्रैल की डेडलाइन करीब है, तो इन शरणार्थी परिवारों में उम्मीद और डर दोनों का माहौल है.
अधिकारियों ने कहा कि वीजा रद्द करने का फैसला हिंदू पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किए गए दीर्घकालिक वीजा पर लागू नहीं होता है, ये वैध रहते हैं. इससे पहले, भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सार्क वीजा छूट योजना को निलंबित कर दिया था, जिससे इस योजना के तहत वर्तमान में भारत में रहने वालों को जाने के लिए 48 घंटे का समय मिल गया था. जैसे-जैसे 27 अप्रैल की समय-सीमा नजदीक आ रही है, पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों के बीच माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है, तथा परिवारों को उम्मीद है कि उन्हें फिर से नहीं उजाड़ा जाएगा.