राम मंदिर में इतिहास और हरियाली का संगम: रामलला का टेंट-सिंहासन बनेगा स्मारक, ‘पंचवटी’ से सजेगा परिसर

अयोध्या  : भगवान राम के भव्य मंदिर के निर्माण कार्य के साथ ही अब अयोध्या रामनगरी में एक और ऐतिहासिक पहल की जा रही है. राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने रविवार को घोषणा की कि रामलला के अस्थायी तंबू और सिंहासन को मंदिर परिसर में स्मारक के रूप में संरक्षित किया जाएगा.यह कदम न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक होगा, बल्कि यह राम मंदिर आंदोलन की ऐतिहासिक गाथा को आने वाली पीढ़ियों के सामने जीवंत रूप में प्रस्तुत करेगा.

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ट्रस्ट ने बताया कि मंदिर परिसर का 60 प्रतिशत क्षेत्र हरित क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा.यहां बगीचे, छायादार वृक्ष और फलदार पौधे लगाए जाएंगे ताकि यह क्षेत्र पर्यावरण संरक्षण का आदर्श बन सके.इन प्रयासों के तहत एक विशेष हरित क्षेत्र का निर्माण किया जाएगा, जिसे ‘पंचवटी’ नाम दिया गया है.

रामलला का तंबू और सिंहासन बनेंगे आस्था के स्मारक

राम मंदिर आंदोलन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को जीवित रखने के लिए ट्रस्ट ने यह निर्णय लिया है कि रामलला जिस अस्थायी तंबू में करीब 30 वर्षों तक विराजमान रहे, उसे मंदिर परिसर में एक विशेष स्थान पर प्रदर्शित किया जाएगा। इसी प्रकार, वह सिंहासन जिस पर 1949 से रामलला विराजमान थे, उसे भी स्मारक के रूप में संरक्षित किया जाएगा.ट्रस्ट का मानना है कि यह कदम तीर्थयात्रियों को मंदिर आंदोलन के संघर्ष और आस्था की लंबी यात्रा की याद दिलाएगा.

राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इस निर्णय के पीछे की भावना स्पष्ट करते हुए कहा, “यह केवल ईंट-पत्थर का मंदिर नहीं है, यह उन असंख्य लोगों की भावनाओं और बलिदानों का प्रतीक है जिन्होंने इस पवित्र कार्य में योगदान दिया.”

निर्माण कार्य की समय सीमा तय

ट्रस्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मंदिर परिसर के निर्माण से संबंधित सभी कार्य 30 जून 2025 तक पूरे कर लिए जाएंगे. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “मंदिर के परकोटे को पूरा करना और मुख्य मंदिर से उसका जुड़ाव स्थापित करना फिलहाल हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है.”

परकोटे में एक लिफ्ट और एक पुल का निर्माण भी प्रस्तावित है, जो मंदिर के पश्चिमी भाग से उसे जोड़ेगा. मिश्रा ने बताया कि शिखर पर आकाशीय बिजली से सुरक्षा के लिए लाइटनिंग अरेस्टर लगाए जा रहे हैं और मुख्य मंदिर ध्वज की स्थापना चार महीने में की जाएगी, जिसे एक शुभ अवसर पर सम्पन्न किया जाएगा.

राम दरबार के लिए विशेष समारोह

ट्रस्ट मंदिर की पहली मंजिल पर राम दरबार की स्थापना की योजना बना रहा है.इसमें भगवान राम को राजा के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा और साथ ही मंदिर परिसर में स्थित अन्य मंदिरों में भी अभिषेक समारोह आयोजित किए जाएंगे.इन आयोजनों का उद्देश्य श्रद्धालुओं को भक्ति के भाव से जोड़ना और मंदिर परिसर को एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित करना है.

हरित क्षेत्र ‘पंचवटी’ की स्थापना

मंदिर परिसर के हरित विकास की योजना को लेकर ट्रस्ट ने रविवार को महत्वपूर्ण घोषणा की.ट्रस्ट के अनुसार, मंदिर परिसर का 60 फीसदी भाग हरित क्षेत्र में परिवर्तित किया जाएगा, जहां पर विशेष रूप से बगीचों, छायादार और फलदार वृक्षों को लगाया जाएगा.इन वृक्षों की देखरेख और संरक्षण की जिम्मेदारी एक विशेषज्ञ समूह को सौंपी गई है, जिसके साथ पांच वर्षों का अनुबंध किया गया है.

ट्रस्ट के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि इस पूरे क्षेत्र में ‘जीरो-डिस्चार्ज पॉलिसी’ लागू की जाएगी ताकि किसी भी प्रकार के प्रदूषण को रोका जा सके.उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि राम मंदिर परिसर न केवल श्रद्धा का केंद्र बने, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण का भी उदाहरण पेश करे.पंचवटी इस दिशा में पहला कदम है.”

आगंतुकों के लिए सांस्कृतिक व ऐतिहासिक अनुभव

राम मंदिर का परिसर अब केवल एक धार्मिक स्थल नहीं रह गया है, बल्कि यह सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी एक महत्वपूर्ण स्थल बनता जा रहा है.जहां एक ओर मंदिर की भव्यता भक्तों को मंत्रमुग्ध करती है, वहीं दूसरी ओर इसमें जोड़े जा रहे स्मारक, जैसे कि रामलला का तंबू और सिंहासन, लोगों को उस संघर्ष की याद दिलाते हैं जो वर्षों तक चला और अंततः न्याय व विश्वास की विजय में परिणत हुआ.

इस पूरे प्रोजेक्ट की योजना इस तरह बनाई गई है कि आने वाले वर्षों में अयोध्या एक वैश्विक तीर्थ स्थल और पर्यावरणीय आदर्श बन सके.इससे न केवल तीर्थयात्री लाभान्वित होंगे, बल्कि अयोध्या की ऐतिहासिक पहचान और आधुनिक सोच का अद्भुत संगम भी प्रस्तुत होगा.

राम मंदिर निर्माण की यह यात्रा अब न केवल आस्था और श्रद्धा की प्रतीक है, बल्कि यह पर्यावरणीय चेतना, ऐतिहासिक स्मृति और सांस्कृतिक समावेशन की मिसाल भी बन रही है। रामलला का तंबू और सिंहासन एक नई पीढ़ी को उस संघर्ष और समर्पण की कहानी बताएंगे, जिसने इस मंदिर को जन्म दिया.वहीं ‘पंचवटी’ और हरित क्षेत्र इस बात की ओर संकेत करेंगे कि राम की नगरी में प्रकृति का सम्मान भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना श्रद्धा का.

 

 

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