मध्य प्रदेश में पदोन्नति नियम पर असमंजस जारी

मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति को लेकर नौ साल से लंबित विवाद फिर से गरमाया है। हाई कोर्ट जबलपुर में सुनवाई के दौरान यह सवाल उठाया गया कि यदि सुप्रीम कोर्ट 2002 के पुराने पदोन्नति नियम को मान्यता देती है तो क्या इसे ही लागू किया जाएगा या फिर नए नियम से ही पदोन्नति होगी। सामान्य प्रशासन विभाग ने स्पष्ट किया है कि अब पदोन्नति नए नियमों के अनुसार ही की जाएगी। नए नियम सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण संबंधी दिशा-निर्देशों और सभी पक्षों की स्थिति को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं।

सरकार की रणनीति यह है कि 2002 के नियम से पहले पदोन्नत हुए अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के कर्मचारियों को पदावनत न करना पड़े। इस कारण सुप्रीम कोर्ट में पुराने नियम की चुनौती दी गई है। वहीं सामान्य पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के कर्मचारियों ने इसे लेकर असंतोष जताया है। उनका कहना है कि सरकार असमंजस में है, इसलिए न्यायालय के समक्ष पुराने और नए नियम दोनों पर बहस हो रही है।

सरकार का तर्क है कि 2002 के नियम वर्तमान में स्थगित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। हाई कोर्ट ने 2016 में पुराने नियम को निरस्त किया था। इसी निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। सपाक्स के अध्यक्ष केपीएस तोमर का कहना है कि सरकार पुराने और नए नियम के बीच असमंजस में है।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस विवाद पर पहल की थी और समाधान निकालने का प्रयास किया। उनके प्रयास के बावजूद अधिकारी इससे निपटने में विफल रहे। सुनवाई में सामने आए तर्क यह दर्शाते हैं कि सरकार स्पष्ट नहीं कर पा रही कि पदोन्नति प्रक्रिया में क्या करना चाहिए। नए नियम बन जाने के बाद पुराने नियम से जुड़ी याचिकाओं को वापस लेना आवश्यक था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

इस स्थिति में यथास्थिति की नई परिभाषा सामने आई है कि हाई कोर्ट द्वारा निरस्त किए गए नियम अस्थायी रूप से स्थगित हैं। अधिकारियों द्वारा मामले को लंबा खींचने का प्रयास यह संकेत देता है कि न तो कोई पदोन्नति होगी और न किसी को पदावनत किया जाएगा। कर्मचारियों में असमंजस और नाराजगी की स्थिति बनी हुई है, जिससे सरकारी सेवा में स्थिरता पर भी असर पड़ रहा है।

सरकार और कर्मचारियों के बीच इस विवाद का समाधान जल्द नहीं निकला तो प्रशासनिक कार्यों और कर्मचारियों के मनोबल पर दीर्घकालीन असर पड़ सकता है।

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