नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के कामकाज पर सवाल खड़े हो रहे हैं. एनटीए की ओर से कराई गईं तमाम परीक्षाओं में गड़बड़ियां सामने आ रही हैं. इसी बीच एक हैरान कर देने वाली बात सामने आई है, जो कि परीक्षा में ऑब्जर्वर बनाने से जुड़ी हुई है. क्रेडिट कार्ड बेचने वाले से लेकर आर्मी के रिटायर्ड कर्मचारी और स्कूल टीचर्स तक को ऑब्जर्वर बनाया गया है. ये बात यहीं खत्म नहीं होती. कुछ ऐसे लोगों को भी ऑब्जर्वर की जिम्मेदारी दी गई, जो कोई जॉब नहीं करते हैं. इसको लेकर कई ऑब्जर्वर शिक्षा मंत्रालय से शिकायत भी कर चुके हैं लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
विशेषज्ञों का कहना है, एनटीए की कार्यप्रणाली ही गड़बड़ है. किसी भी परीक्षा में जिस तरह की गोपनीयता और सावधानी बरती जानी चाहिए, वो नहीं हो रही है. बोर्ड की परीक्षा, बीएड एंट्रेंस एग्जाम और यहां तक कि यूनिवर्सिटी के एग्जाम में भी प्राइवेट कॉलेज के टीचर को ऑब्जर्वर बनाने के नियम नहीं है, क्योंकि किसी सरकारी कर्मचारी की तरह वह जवाबदेह नहीं होता है.
किसी भी सेंटर का सर्वेसर्वा होता है ऑब्जर्वर
दिल्ली विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर का कहना है कि ऑब्जर्वर किसी भी सेंटर का सर्वेसर्वा होता है. वही स्ट्रांग रूम से क्वेश्चन पेपर लेकर आता है. कौन सा कक्ष निरीक्षक कौन से रूम में ड्यूटी करेगा, ये भी ऑब्जर्वर ही तय करता है. ऑब्जर्वर हो या इनविजिलेटर, उसे ड्यूटी देने से पहले पूरा वेरिफिकेशन होता है कि कही कोई उसका बेटा, बेटी या रिश्तेदार उस केंद्र पर परीक्षा तो नहीं दे रहा है.
इनविजिलेशन के लिए भी सरकारी या मान्यता प्राप्त स्कूल या कॉलेज के अध्यापक ही पात्र होते हैं. परीक्षा केंद्र पर किसी भी घटना के लिए ऑब्ज़र्वर जिम्मेदार होता है लेकिन एनटीए इतनी बड़ी-बड़ी प्रतियोगी परीक्षाएं कराता है. ये एजेंसी सिर्फ परीक्षा कराती है लेकिन मनमानी का आलम देखने लायक है. ये एजेंसी जो प्रतियोगी परीक्षाएं कराती है, उनमें शामिल होने वाले छात्र लाखों रुपये खर्च करके तैयारी करते हैं, जिससे छात्रों का भविष्य बनता है, उसके प्रति ही ये इतना लापरवाह है.
क्रेडिट कार्ड बेचने वाले को बनाया ऑब्जर्वर
- केस 1 :सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, NTA प्राइवेट बैंक में क्रेडिट कार्ड बेचने वाले को भी ऑब्जर्वर बना रहा है. शिक्षा मंत्रालय को भेजी गई शिकायत के मुताबिक, नेहा मित्तल, जो कोटक महिंद्रा बैंक में क्रेडिट बेचने का काम करती हैं, उनकी NTA आईडी NTA-TA-050482 है. इन्हें भी कई परीक्षाओं में ऑब्जर्वर बनाया गया है.
- केस 2:प्राइवेट कॉलेजों के टीचर्स को भी NTA ऑब्जर्वर बनाता है. ये टीचर्स जूनियर, सीनियर कोई भी हो सकता है. एक प्राइवेट कॉलेज के वार्डन रवि आनंद, जिनकी NTA आईडी NTA-TA-029964 है, ये कई प्रतियोगी परीक्षाओं में ऑब्जर्वर बन चुके हैं.
- केस 3:शिकायत के मुताबिक, NTA के सीनियर डायरेक्टर एग्जामिनेशन कर्नल बी. विजय कुमार की पत्नी राम्या विजय कुमार, जिनकी NTA आईडी NTA-TA-0-56769 है. ये कई प्रतियोगी परीक्षाओं में ऑब्जर्वर की ड्यूटी कर चुकी हैं.
तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं में हो रही गड़बड़ियों को देखकर यह कह सकते हैं कि NTA परीक्षा मानकों का पालन नहीं कर रहा है. इसलिए वो संदेह के घेरे में है.
ऐसा बना NTA
2017 में वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में NTA की घोषणा की थी. कैबिनेट ने भी इसे पास किया. सरकार ने जनरल विनीत जोशी को NTA का पहला डायरेक्टर नियुक्त किया. जोशी 1992 बैच के मणिपुर कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. 7 जुलाई 2018 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेस में घोषणा की थी कि NTA JEE मेन, NEET UG, NET कॉमन मैनेजमेंट एडमिशन टेस्ट (CMAT) और ग्रेजुएट फार्मेसी एप्टीट्यूड टेस्ट (GPAT) कराएगा.
इसकी स्थापना सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत एक एजेंसी के तौर पर हुई, इसलिए इसके पास कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है. दस सदस्यों की एक गवर्निंग बॉडी इसे चलाती है. इसमें चेयरपर्सन प्रोफेसर रिटायर्ड प्रदीप कुमार जोशी, मेंबर सेक्रेट्री प्रदीप सिंह खरोला और आठ मेंबर हैं. NTA इसी गवर्निंग बॉडी के भरोसे सभी परीक्षाएं कराता है. इसके अलावा NTA के पास अपना कुछ नहीं है. NTA सबकुछ आउटसोर्स करता है. पेपर सेट करने के लिए विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर को एक्सपर्ट के तौर पर बुलाता है. NTA ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही मोड की परीक्षाएं कराता है.
ऐसे होती है परीक्षा
एक प्रोफेसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ऑफलाइन परीक्षा के लिए NTA अपने प्रश्नपत्र बैंकों में भेज देता है. सरकारी और प्राइवेट सभी तरह की बैंकों SBI, केनरा बैंक समेत तमाम बैंकों में प्रश्नपत्र रखे जाते हैं. परीक्षा से एक दिन पहले शाम को NTA से एक मैसेज आता है कि आपको इस बैंक से प्रश्नपत्र मिलेंगे.
इसके बाद सुबह चार बजे तक फोन आता है कि उस बैंक में नहीं दूसरी बैंक में प्रश्नपत्र मिलेगा. अगर किसी सेंटर पर दो पालियों में परीक्षा है और दोनों में एक-एक हजार परीक्षार्थी हैं तो बैंक से 7 टीन के बॉक्स मिलते हैं. इनको हम अपनी सुविधा के हिसाब से स्कूल बस में, पिकअप में या फिर अपनी कार में किसी भी वाहन से ले जा सकते हैं. इसके लिए NTA ऑब्जर्वर को एक हजार रुपये का मानदेय भी देता है.
प्रोफेसर के मुताबिक, जहां पर नेटवर्क का इश्यू हो या फिर बैंक में प्रश्नपत्र के बॉक्स रखने की जगह न हो, वहां पर लीक करना आसान है. या फिर प्रश्नपत्र ले जाते समय भी कुछ भी हो सकता है. प्रश्नपत्र के बॉक्स सेंटर पर ले जाने के बाद ऑब्जर्वर, सेंटर कोऑर्डिनेटर, इन्विसिलेटर और दो परीक्षार्थियों की मौजूदगी में प्रश्न पत्र के बॉक्स का ताला खोलता है. नीट यूजी की परीक्षा में जो बॉक्स मिला था, उसमें दो लॉक थे. एक मैनुअल चाबी वाला लॉक था. दूसरा डिजिटल लॉक. डिजिटल लॉक अपने समय पर ही खुलता है. परीक्षा केंद्र पर जैमर भी लगाए जाते हैं. कई बार जैमर ठीक से नहीं काम नहीं करते हैं.
NTA को कोई फर्क नहीं पड़ता
एक आब्जर्वर ने बताया कि ये सारी प्रक्रिया लोग अपनी जिम्मेदारी से कराते हैं, लेकिन NTA कुछ नहीं देखता है. उसे कोई फर्क नहीं पड़ता है. कई बार तो ऐसा होता है कि नौ बजे से परीक्षा है और कुछ परीक्षार्थी सवा नौ और साढ़े नौ बजे तक आ रहे हैं और बोलते हैं कि एंट्री दे दो. ऑब्जर्वर एंट्री नहीं देता है. फिर वो NTA में फोन करते हैं.
NTA में बहुत से प्राइवेट कर्मचारी हैं. ये परीक्षार्थी उनसे बात कर लेते हैं. फिर एनटीए से ये कर्मचारी हमें फोन करते हैं और कहते हैं कि मैं एनटीए से बोल रहा हूं. इन परीक्षार्थियों को एंट्री दे दीजिए, नहीं तो इनका भविष्य खराब हो जाएगा. हम भी क्या कर सकते हैं. जब ये लोग बोलते हैं तो हम एंट्री दे देते हैं.
किसी को भी बना दिया जाता है ऑब्जर्वर
NTA परीक्षार्थियों की बायोमेट्रिक अटेंडेंस और तलाशी के लिए एक प्राइवेट कंपनी इनोवेटिव को आउटसोर्स करता है. ये कंपनी अपने यहां से जूनियर कर्मचारियों को भेज देती है. उनको कुछ पता भी होता है. ऑब्जर्वर ही उन्हें बताया है, समझाता है तब वो अपना काम कर पाते हैं. ऑब्जर्वर ही अगर जिम्मेदार आदमी न हो तब और भी क्या ही कहने, क्योंकि NTA के पास कोई भी स्कूल टीचर, LIC एजेंट किसी को भी ऑब्जर्वर बना देता है.
टेंडर से करता है आउटसोर्स
एनटीए एग्जाम सेंटर और उसकी व्यवस्थाओं के लिए टेंडर निकालता है. इसके जरिए ही कंप्यूटर, सीसीटीवी जैसी व्यवस्थाएं की जाती हैं. इसके अलावा स्टाफ की हायरिंग भी टेंडर के माध्यम से होती है. एनटीए ने आउटसोर्स स्टाफ में टेक्निकल सपोर्ट ग्रुप, ऑफिस असिस्टेंट, सीनियर असिस्टेंट, कंसल्टेंट, कंसल्ट एडवाइजर, डेटा एनालिस्ट आदि के लिए टेंडर निकाला था. एनटीए ने क्यूआर कोड सॉल्यूशन के लिए भी टेंडर जारी किया था. इसके लिए कई कंपनियां हायर की गई थीं.