मध्यप्रदेश : लोकसभा चुनाव के साथ कांग्रेस से भाजपा में बड़े नेताओं के आने से बाढ़ सी आ गई है। हर दूसरे-तीसरे दिन कांग्रेस का कोई बड़ा नेता भाजपा में शामिल हो रहा है। भाजपाई होने के बाद पार्टी ने भले ही इन्हें कोई लक्ष्य नहीं दिया है, लेकिन अपने बेहतर भविष्य के लिए उनके सामने बड़ा काम लोकसभा चुनाव में अपने-अपने क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में प्रचंड मतदान कराने का रहेगा।
दलबदल करने वाले यही नेता पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों को जिताने के लिए दिन-रात एक कर रहे थे अब हराने के लिए एक करेंगे। हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी को तो भाजपा ने स्टार प्रचारक भी बना दिया है। उनके अलावा पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी, इंदौर के कांग्रेस नेता पंकज संघवी, कई पूर्व विधायक और कांग्रेस संगठन में काम कर चुके पदाधिकारी भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
जितने भी पूर्व विधायक कांग्रेस से भाजपा में आए हैं उनका उनका क्षेत्रीय और जातिगत वोट बैंक भी रहा है। विधानसभा चुनाव तक सभी अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय भी रहे हैं। ऐसे में इन नेताओं को भाजपा में अच्छी जगह बनाने के लिए अपने परंपरागत मतदाताओं को भाजपा की तरफ मोड़ने की चुनौती है और यही उनकी दिशा और दशा तय कर सकती हैं।
लोकसभा चुनाव की विधानसभावार परिणामों में भी इसकी झलक देखने को मिल सकती है कि जिस क्षेत्र में वह सक्रिय रहे हैं वहां के परिणाम भाजपा के कितने अनुकूल रहते हैं। इन नेताओं के सामने दूसरी चुनौती यह है कि पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जिन कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर भाजपा प्रत्याशी को हराने के लिए दिन-रात एक कर रहे थे, अब पुराने रिश्ते भुलाकर कांग्रेस उम्मीदवार को हराने के लिए मैदान में विजय पताका फहराना होगा।