बघेल के घर ईडी की रेड को कांग्रेस ने बताया षड्यंत्र, सदन की कार्यवाही छोड़ भिलाई पहुंचे 19 विधायक

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) के ठिकानों पर छापेमारी की. केंद्रीय एजेंसी की इस रेड के बाद कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं का विरोध प्रदर्शन जारी है. कांग्रेस के कम से कम 19 विधायक विधानसभा की कार्यवाही छोड़कर भिलाई पहुंचे और वे अपना विरोध जता रहे हैं. इस दौरान उमेश पटेल, पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव समेत कई दिग्गज नेता नजर आए. बघेल के भिलाई स्थित आवास के बाहर जहां पार्टी नेताओं का जमावड़ा लगा हुआ है. वहीं इसे देखते हुए भारी तादाद में पुलिस की भी तैनाती की गई है.

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बता दें कि यह छापेमारी कथित शराब घोटाला मामले में उनके बेटे के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत की गई. सूत्रों ने बताया कि भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल के भिलाई (दुर्ग जिला) स्थित ठिकानों, चैतन्य बघेल के कथित करीबी सहयोगी लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल और कुछ अन्य के ठिकानों पर भी मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत छापेमारी की जा रही है. चैतन्य बघेल अपने पिता के साथ भिलाई में रहते हैं और इसलिए परिसरों की तलाशी ली जा रही है. भिलाई में सोमवार को 4 गाड़ियों में ईडी के अधिकारी उनके घर पहुंचे. कार्रवाई के बीच नोट गिनने और सोना जांचने की मशीन भी आ गई.

अधिकारी ने बताया कि उन (चैतन्य बघेल) पर शराब घोटाले की आय का “प्राप्तकर्ता” होने का संदेह है. उन्होंने बताया कि राज्य में करीब 14-15 ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है.

भड़की कांग्रेस, 19 विधायक सदन छोड़ भिलाई पहुंचे

कांग्रेस ने कहा कि बघेल के खिलाफ छापेमारी उस दिन “सुर्खियां बटोरने” की “साजिश” है. संसद का बजट सत्र फिर से शुरू हुआ और सरकार को कई मुद्दों पर विपक्ष के सवालों का सामना करना पड़ा इसलिए ऐसी कार्रवाई हो रही है. छापेमारी के तुरंत बाद, भिलाई में बघेल के घर के बाहर कई कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता एकत्र हुए.

उन्होंने ईडी के खिलाफ घर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और दावा किया कि यह केंद्र की साजिश है. पूर्व मंत्री और विधायक उमेश पटेल, पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने इस कार्रवाई को बदले की राजनीति करार दिया है. सिंहदेव ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी का उपयोग अब विपक्ष के नेताओं को परेशान करने के लिए किया जा रहा है. भूपेश बघेल लगातार केंद्र की और राज्य की भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. हाल ही में उन्हें पंजाब का प्रभारी बनाया गया और अब पंजाब में 37 विधायक दुबई गए हैं राजनीतिक गतिविधियां चल रही है. इस बीच भूपेश बघेल के यहां कार्रवाई या दर्शाती है कि विपक्ष के नेताओं को रोकने की कोशिश की जा रही है.

 

विधायक रामकुमार यादव ने कहा कि ED की टीम चाहे कुछ भी करे हम अपने नेता के साथ हर वक्त खड़े हैं. जो भी विधानसभा में सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहा है. उसे निशाना बनाया जा रहा है, पहले कवासी लखमा और अब भूपेश बघेल को टारगेट किया जा रहा है.

 

छत्तीसगढ़ विधानसभा में की कार्यवाही की शुरुआत हंगामेदार हुई. बघेल के ठिकानों पर ईडी के छापे को लेकर सदन में कांग्रेस के विधायकों ने जमकर हंगामा किया. भाजपा के खिलाफ नारेबाजी की. विधानसभा अध्यक्ष के प्रश्नकाल बाधित न करने के निर्देश के बावजूद विपक्ष के विधायक गर्भ गृह में प्रवेश करने पर स्वत: निलंबित हो गए.

 

 

क्यों हुई कार्रवाई?

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पहले कहा था कि छत्तीसगढ़ शराब “घोटाले” के परिणामस्वरूप राज्य के खजाने को “भारी नुकसान” हुआ और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेबों में 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की आपराधिक आय भरी गई.

 

ईडी ने इस मामले में जनवरी में पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता कवासी लखमा के अलावा रायपुर के मेयर और कांग्रेस नेता एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर, पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी और कुछ अन्य को इस जांच के तहत गिरफ्तार किया था.

 

क्या है आरोप?

ईडी के अनुसार, छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाला 2019 और 2022 के बीच हुआ था, जब यहां सीएम बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी. इस जांच के तहत अब तक एजेंसी द्वारा विभिन्न आरोपियों की लगभग 205 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में इस मामले में ईडी की पहली ईसीआईआर (एफआईआर) को खारिज कर दिया था जो आयकर विभाग की शिकायत पर आधारित थी. संघीय एजेंसी ने बाद में एक नया मामला दर्ज किया, जब उसने छत्तीसगढ़ ईओडब्ल्यू/एसीबी को एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग एजेंसी द्वारा साझा की गई सामग्री के आधार पर आरोपियों के खिलाफ एक नई एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा. ईओडब्ल्यू/एसीबी ने पिछले साल 17 जनवरी को एफआईआर दर्ज की थी, विधानसभा चुनावों में भाजपा द्वारा मौजूदा कांग्रेस सरकार को हराने के लगभग एक महीने बाद, और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड और अन्य सहित 70 व्यक्तियों और कंपनियों को नामजद किया था. ईडी के अनुसार, शराब की अवैध बिक्री से अर्जित कथित कमीशन को “राज्य के सर्वोच्च राजनीतिक अधिकारियों के निर्देशानुसार” बांटा गया था.

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