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डेरा के प्रभाव वाले इलाकों में कांग्रेस को ज्यादा फायदा, चौंका देगा हरियाणा का यह चुनावी आंकड़ा

हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा पर 1 अक्टूबर को विपक्षी कांग्रेस और अन्य दलों ने जमकर हमला बोला. वजह थी जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा (DSS) के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को विधानसभा चुनाव से ठीक चार दिन पहले 20 दिन की पैरोल दी गई. चुनाव के वक्त रिहाई को लेकर भाजपा पर बलात्कार और हत्या के दोषी को इलेक्शन में समर्थन दिलाने के लिए पैरोल देने का आरोप लगाया गया. हालांकि, चुनाव के रिजल्ट से यह साफ हो गया कि इसका फायदा केवल भाजपा ही नहीं बल्कि कांग्रेस को भी मिला.

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जेल से पैरोल का फायदा प्रमुख पार्टियों को मिला

डेरा समर्थकों के गढ़ माने जाने वाले 28 विधानसभा क्षेत्रों में से 15 पर कांग्रेस, 10 पर भाजपा, दो पर इनेलो और एक पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की. इन निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस को 53.57 प्रतिशत, भाजपा को 35.71 प्रतिशत, इनेलो को सात प्रतिशत और निर्दलीय को 3.57 प्रतिशत वोट मिले. यह एक बड़ा कारण हो सकता है कि हरियाणा कांग्रेस के अधिकांश नेता पैरोल के बारे में ज्याद मुखर नहीं दिखे.

इन सीटों पर कांग्रेस की जीत

फतेहाबाद, कैथल, कुरुक्षेत्र, सिरसा, करनाल और हिसार सहित हरियाणा के छह जिलों की 28 विधानसभा सीटों के मामले में कांग्रेस को भाजपा से अधिक फायदा हुआ. कांग्रेस ने फतेहाबाद, रतिया, टोहाना (जहां डेरा अनुयायियों की सबसे ज्यादा संख्या है), कलात, कैथल, शाहाबाद, थानेसर, पेहोवा, कलमवाली, सिरसा, ऐलनाबाद, आदमपुर, उकलाना और नारनौंद में जीत दर्ज की.

यहां भाजपा को मिली जीत

भाजपा ने हांसी, बरवाला, हिसार, नलवा, असंध, घरौंडा, करनाल, इंद्री, नीलोखेड़ी, लाडवा और पुंडरी में जीत दर्ज की. इनेलो ने डबवाली और रानिया में जीत दर्ज की, जबकि सावित्री जिंदल ने हिसार में जीत दर्ज की.

डेरा ने अपने अनुयायियों से भाजपा को वोट देने को कहा था

सूत्रों का कहना है कि 3 अक्टूबर को डेरा सच्चा सौदा प्रमुख ने सिरसा में डेरा पदाधिकारियों को भाजपा को वोट देने का निर्देश दिया था. मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि सत्संग के दौरान यह संदेश बड़ी चतुराई से दिया गया था, जिसमें प्रत्येक अनुयायी से बूथ पर कम से कम पांच मतदाताओं को लाने को कहा गया था. यह अज्ञात है कि गुरमीत राम रहीम इस सत्संग की वर्चुअल मेजबानी कर रहे थे या नहीं, क्योंकि चुनाव आयोग ने उन पर ऑनलाइन प्रचार या सत्संग आयोजित करने पर प्रतिबंध लगा दिया था.

एक तथ्य जो साबित करता है कि डेरा अनुयायियों ने चुनावों में भाजपा की मदद की, वह शाह सतनाम पुरा में दो मतदान केंद्रों के परिणाम हैं, जहां सिरसा में डीएसएस मुख्यालय स्थित है. कांग्रेस उम्मीदवार से सिरसा चुनाव हारने वाले एचएलपी उम्मीदवार गोपाल कांडा को कुल 1,415 वोटों में से 1233 वोट मिले. डेरा सूत्रों के अनुसार अनुयायियों की संख्या 1.25 करोड़ है. डेरा की 38 शाखाओं में से 21 अकेले हरियाणा में स्थित हैं.

धार्मिक संप्रदाय होने के बावजूद, डेरा के राजनीतिक हित हैं और इसने एक राजनीतिक शाखा स्थापित की है जो गुरमीत राम रहीम के निर्देशन में काम करती है.

कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा को समर्थन

संप्रदाय ने पहले शिरोमणि अकाली दल, भाजपा और कांग्रेस का समर्थन किया है. 2007 के पंजाब विधानसभा चुनावों में डेरा ने कांग्रेस को अपना समर्थन देने की घोषणा की थी. 2014 में डेरा सच्चा सौदा ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भाजपा का समर्थन किया था. 2015 में डेरा ने नई दिल्ली चुनावों में भाजपा का खुलकर समर्थन किया था. संप्रदाय ने 2015 के बिहार चुनावों में भी भाजपा का समर्थन किया था. अनुमान है कि बिहार में भाजपा के लिए 3000 अनुयायियों ने प्रचार किया था.

डेरा सच्चा सौदा का राजनीतिक प्रभाव इसके उच्च जाति के अनुयायियों के अलावा कई निम्न जाति के अनुयायियों से भी जुड़ा है. अनुयायियों में दलितों की संख्या कम है, जिनमें मजहबी सिख (धर्मांतरित सिख) भी शामिल हैं.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि हरियाणा में उच्च जाति के वोट आम तौर पर कांग्रेस और भाजपा जैसी मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों के बीच बंटे रहते हैं. फिर भी, निम्न जातियों के डेरा अनुयायी डेरा प्रमुख द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं.

हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 48 सीटों पर जीत दर्ज की है. कांग्रेस को 37 सीटें मिली हैं, INLD के खाते में 2 सीटें गई हैं, जबकि 3 सीटों पर अन्य का कब्जा रहा है.

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