यूपी के सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद के खिलाफ कोर्ट में चार्ज फ्रेम कर दिए गए हैं. इमरान मसूद पर ये चार्ज लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ ‘बोटी-बोटी’ वाले बयान देने के मामले में तय किए गए हैं. जल्द ही इस मामले में फैसला आ सकता है. अगर दो साल से ज्यादा सजा हुई तो कांग्रेस सांसद को अपनी संसद सदस्यता भी गंवानी पड़ सकती है.
बता दें कि कांग्रेस सांसद इमरान मसूद पर 10 साल पुराने मामले में आज आरोप तय हुए हैं. अब कोर्ट में ट्रायल चलेगा. बताया जा रहा है कि जिन धाराओं में आरोप तय हुए हैं, उसमें 5 से 7 साल तक की सजा का प्रावधान है. ऐसे में कोर्ट ने दोष सिद्ध किया तो इमरान मसूद की सांसदी भी जा सकती है.
मालूम हो कि 10 साल पहले इमरान मसूद ने ‘बोटी–बोटी काट देंगे’ वाला बयान दिया था, जिसका वीडियो काफी वायरल हुआ था. इस बयान को पीएम मोदी के खिलाफ़ बताया गया, जिसको लेकर काफी बवाल हुआ था. बाद में इसको लेकर इमरान मसूद पर मुकदमा दर्ज हुआ जिसका केस अभी तक चल रहा है. तब मसूद कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी थे. हालांकि, मसूद ने बाद में इस बयान के लिए माफी मांगी थी, लेकिन कानूनी कार्यवाही तब भी जारी रही.
5 साल से ऊपर की सजा की धाराओं में चार्ज फ्रेम
सहारनपुर के सांसद इमरान मसूद पर MP-MLA कोर्ट में 5 साल से ऊपर की सजा की धाराओं में चार्ज फ्रेम किया गया. 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान इमरान मसूद ने एक जनसभा में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिया था. यह बयान उन्होंने देवबंद के गांव लबकरी में आयोजित एक जनसभा के दौरान दिया, जहां उन्होंने कहा था कि अगर नरेंद्र मोदी सहारनपुर आएंगे तो उनकी “बोटी-बोटी कर दी जाएगी.”
इस बयान ने तत्कालीन राजनीतिक माहौल में काफी विवाद उत्पन्न किया था, क्योंकि यह कथन हिंसा और नफरत को प्रोत्साहित करने वाला था. इमरान मसूद ने बयान में यह भी कहा था कि गुजरात में जहां 4% मुसलमान हैं, वहीं सहारनपुर में 42% मुसलमान हैं. उन्होंने सहारनपुर में बसपा के दो विधायकों के खिलाफ भी आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिनमें से एक दलित विधायक के खिलाफ कहा गया कि वो जनरल सीट पर SC विधायक बने हुए हैं.
इस बयान के बाद तत्कालीन देवबंद थाना प्रभारी ने इमरान मसूद के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 295 A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बयान), जनप्रतिनिधि कानून की धारा 125 (चुनाव के दौरान समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करना), और एससी/एसटी कानून की धारा 310 (दलित समुदाय के खिलाफ अपमानजनक भाषा) के तहत मामला दर्ज किया। पुलिस ने इस मामले में 19 लोगों के बयान दर्ज किए, जिसमें चार पुलिसकर्मी भी गवाह के रूप में शामिल थे.
जल्द सुनाया जाएगा फैसला
अब इस मामले में अदालत की सुनवाई चल रही है, और अगर अदालत में इमरान मसूद दोषी करार दिया जाता है, तो उन्हें कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ सकता है. विशेष न्यायाधीश मोहित शर्मा की अदालत में अब इस मामले में आगे की सुनवाई होगी, जहां अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए गवाहों और सबूतों के आधार पर फैसला सुनाया जाएगा.
यह मामला राजनीतिक और कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें धार्मिक और जातीय भावनाओं के आधार पर विवादित बयान का मुद्दा है, जो चुनाव के समय नफरत और हिंसा फैलाने की दृष्टि से गंभीर माना जाता है. अदालत का फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि अभियोजन पक्ष कितने मजबूत सबूत पेश करता है और बचाव पक्ष अपने तर्कों को कैसे पेश करता है.