हाल ही में सरकार की ओर से आम जनगणना के साथ-साथ जाति जनगणना का फैसला लिया गया है. जहां कांग्रेस सरकार के इस फैसले की मांग का श्रेय अपने कंधे पर लेना चाहती है वहीं बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने जातिगत गणना के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा है. उन्होंने शनिवार को कहा कि वह यह भूल गयी हैं कि दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समाज के करोड़ों लोगों को आरक्षण सहित उनके संवैधानिक हक से वंचित रखने में उसका इतिहास काला अध्याय है.
मायावती ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कहा है कि 1931 और आजादी के बाद पहली बार देश में जातिगत गणना कराने के केंद्र सरकार के निर्णय का श्रेय लेने में कांग्रेस यह भूल गयी कि दलित व ओबीसी समाज के करोड़ों लोगों को आरक्षण सहित उनके संवैधानिक हक से वंचित रखने में उसका इतिहास काला अध्याय है और इस कारण उसे सत्ता भी गंवानी पड़ी है.
अवसरवादी राजनीति करती हैं मायावती
मायावती ने कहा कि किन्तु सत्ता विहीन होने के बाद भी कांग्रेस नेतृत्व का खासकर दलित और ओबीसी, समाज के प्रति नया उभरा प्रेम विश्वास से परे है. उन्होंने कहा कि इन वर्गों के वोट के स्वार्थ की खातिर छलावा की अवसरवादी राजनीति है. वैसे भी आरक्षण को निष्क्रिय बनाकर अन्ततः इसको खत्म करने की इनकी नापाक मंशा को कौन भुला सकता है?
1. सन् 1931 व आज़ादी के बाद पहली बार देश में जातीय जनगणना कराने के केन्द्र के निर्णय का श्रेय लेने में कांग्रेस यह भूल गयी कि दलित व ओबीसी समाज के करोड़ों लोगों को आरक्षण सहित उनके संवैधानिक हक़ से वंचित रखने में उसका इतिहास काला अध्याय है व इस कारण उसे सत्ता भी गंवानी पड़ी है।
— Mayawati (@Mayawati) May 3, 2025
उन्होंने कहा कि वैसे आरक्षण व संविधान के जनकल्याणकारी उद्देश्यों को फेल करने में बीजेपी भी कांग्रेस से कम नहीं, बल्कि दोनों एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं. किन्तु अब वोटों के स्वार्थ व सत्ता के मोह के कारण बीजेपी को भी जातिगत गणना की जन अकांक्षा के आगे झुकना पड़ा है. इस कदम का स्वागत है.
उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर को भारतरत्न से सम्मानित करने से लेकर धारा-340 के तहत ओबीसी को आरक्षण देने जैसे अनेकों मामलों में कांग्रेस व भाजपा का रवैया जातिवादी व द्वेषपूर्ण रहा है, किन्तु इनके वोट की राजनीति के खेल निराले हैं. लोग सावधान रहें.