मध्य प्रदेश में मदरसों को लेकर गंभीर विवाद खड़ा हो गया है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने प्रदेश सरकार से 15 दिन में विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि कई मदरसों में गैर मुस्लिम बच्चों को अभिभावकों की अनुमति के बिना कुरान और हदीस पढ़ाई जा रही है। इसे धर्मांतरण से जोड़कर गंभीर आपत्तियां दर्ज कराई गई हैं।
जानकारी के अनुसार, प्रदेश में करीब 27 हजार मदरसों में 5.56 लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं, जिनमें गैर मुस्लिम बच्चों की संख्या भी पर्याप्त है। NHRC ने विशेष रूप से भोपाल, होशंगाबाद, जबलपुर, झाबुआ, धार, बड़वानी, खंडवा, खरगोन और परासिया जिलों के मदरसों को चिन्हित किया है। आयोग ने सवाल उठाया है कि गैर मुस्लिम बच्चों को मदरसों में दाखिला कैसे मिल रहा है, जबकि किशोर न्याय अधिनियम 2015 और संविधान के अनुच्छेद 28(3) के तहत बिना अनुमति धार्मिक शिक्षा देना प्रतिबंधित है।
NHRC ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि ऐसे बच्चों को तत्काल हटाया जाए और बिना मंजूरी संचालित मदरसों पर एफआईआर दर्ज की जाए। वहीं, बीजेपी नेता रामेश्वर शर्मा ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि धर्मांतरण कराने वाले मदरसे नहीं चलेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे मदरसों पर ताले लगाए जाएंगे और कलेक्टर व डीईओ को कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। शर्मा ने स्पष्ट किया कि किसी भी स्थिति में बच्चों का धर्मांतरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इस मामले पर कांग्रेस ने भी सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता मुकेश नायक ने NHRC सदस्य प्रियंक कानूनगो की जांच की मांग की है और उनके गतिविधियों को संदिग्ध बताया है।
असल में NHRC को 26 सितंबर को एक शिकायत मिली थी, जिसमें प्रदेश के 27 मदरसों में 556 हिंदू बच्चों के कथित धर्मांतरण रैकेट की जानकारी दी गई थी। शिकायत में बताया गया कि इन मदरसों में हिंदू बच्चों को निशाना बनाया जा रहा है।
इस विवाद ने मध्य प्रदेश में धर्म और शिक्षा के क्षेत्र में नई बहस छेड़ दी है। राज्य सरकार अब इस मामले में कार्रवाई करते हुए रिपोर्ट NHRC को सौंपेगी।