शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी पर घमासान, BCI और विदेश से भी मिला समर्थन, जानें क्या है पूरा विवाद 

पुणे की एक 22 वर्षीय लॉ स्टूडेंट और सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी ने भारत में अभिव्यक्ति स्वतंत्रता और धार्मिक संवेदनशीलता के बीच की बहस को फिर से पैदा कर दिया है. शर्मिष्ठा को कोलकाता पुलिस ने ऑपरेशन सिंदूर से संबंधित एक वीडियो में कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणियां करने के मामले में गुरुग्राम से गिरफ्तार किया है. हालांकि, मामले को बढ़ता देख शर्मिष्ठा ने पहले ही बिना शर्त के माफी मांग ली थी, लेकिन कई राजनेता शर्मिष्ठा की आलोचना करते हुए गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे.

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दरअसल, शर्मिष्ठा ने अपनी वीडियो में उन अभिनेताओं की आलोचना की थी. जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी. वह कथित तौर पर एक यूजर को जवाब दे रही थीं, जिसने पूछा था कि भारत ने बिना किसी कारण के पाकिस्तान पर गोलीबारी क्यों की. शर्मिष्ठा ने अपनी वीडियो में कथित तौर पर अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया था.

वहीं, 14 मई को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के राष्ट्रीय प्रवक्ता वारिस पठान ने एक्स पर पनोली के वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया कि शर्मिष्ठा ने इस्लाम का अपमान किया है और उनकी टिप्पणी सांप्रदायिक विद्वेष को बढ़ावा देती है. उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री को टैग किया और उनकी गिरफ्तारी की मांग की. इसी के बाद मामले ने तूल पकड़ा और सोशल मीडिया पर उनकी गिरफ्तारी की मांग बढ़ने लगी

मेरी माफी को स्वीकार करें: शर्मिष्ठा

इसके बाद 15 मई को शर्मिष्ठा ने एक्स पर माफी मांगते हुए लिखा, ‘मैं अपनी बिना शर्त माफी मांगती हूं. मेरे द्वारा व्यक्त किए गए विचार मेरे निजी थे और मेरा इरादा किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं था. अगर किसी को चोट पहुंची है तो मैं इसके लिए माफी मांगती हूं. मैं भविष्य में अपने सार्वजनिक पोस्ट में सावधानी बरतूंगी. मेरी माफी को स्वीकार करें.’

क्या बोली पुलिस

30 मई को कोलकाता पुलिस ने गुरुग्राम में शर्मिष्ठा को ट्रैक किया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया. कोलकाता पुलिस ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, ‘गार्डन रीच पुलिस स्टेशन केस नंबर 136, दिनांक 15.05.2025 के संदर्भ में, कुछ सोशल मीडिया दावे जो एक लॉ स्टूडेंट की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बता रहे हैं. लोगों के ऐसे दावे तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक हैं.’

पुलिस के अनुसार, ‘उन्होंने शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी में सभी कानूनी प्रक्रियाओं का विधिवित पालन किया गया है. शर्मिष्ठा और उनके परिवार को कई बार कानूनी नोटिस देने की कोशिश की, लेकिन वे  फरार थे. अंतत: कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया है. शनिवार को कोलकाता के अलीपुर कोर्ट में पेशी के बाद उन्हें 13 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.’

शर्मिष्ठा के खिलाफ आरोप

कोलकाता में उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गईं. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘ये मामला शर्मिष्ठा पनोली के इंस्टाग्राम वीडियो से संबंधित है, जिसने एक विशेष समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई.’

BNS (भारतीय न्याय संहिता) की इन धाराओं के तहत मामला किया गया दर्ज

धारा 196(1)(ए): धर्म के आधार पर समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना

धारा 299: धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से किए गए कार्य

धारा 352: शांति भंग करने की संभावना वाला जानबूझकर अपमान

धारा 353(1)(सी): सार्वजनिक शरारत को उकसाने वाले बयान

‘ये लोकतंत्र नहीं है…’

इसी बीच अदालत से बाहर निकलते वक्त शर्मिष्ठा ने कहा, ‘लोकतंत्र में जिस तरह से उत्पीड़न किया जा रहा है, ये लोकतंत्र नहीं है.’ शर्मिष्ठा के इस बयान के बाद से ही देश में अभिव्यक्ति का आजादी और धार्मिक संवेदनशीलता के बीच संतुलन की बहस छिड़ गई है. और राजनीतिक घमासान मच गया है.

गिरफ्तारी के बाद सियासी तूफान

शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी ने पश्चिम बंगाल में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है. विपक्षी नेताओं ने सीएम ममता बनर्जी सरकार पर चुनिंदा कार्रवाई और तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया.

समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वालों के लिए सख्त कानून की मांग की. उन्होंने कहा, ‘ऐसे लोगों के खिलाफ कम से कम 10 साल की सजा वाला कानून बनना चाहिए.’

बीजेपी सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत ने शर्मिष्ठा के समर्थन में इंस्टाग्राम स्टोरी पर लिखा, ‘मैं मानती हूं कि शर्मिष्ठा ने कुछ अप्रिय शब्दों का इस्तेमाल किया, लेकिन आजकल ज्यादातर युवा ऐसे शब्दों का उपयोग करते हैं. उन्होंने अपने बयानों के लिए माफी मांगी और यह काफी होना चाहिए. उन्हें और परेशान करने की जरूरत नहीं है. उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए.’

बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर हिंदू आवाजों को निशाना बनाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘महुआ मोइत्रा के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई थी. उन्होंने देवी काली के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी. क्या कोई कार्रवाई हुई? टीएमसी सांसद सायोनी घोष ने महादेव के बारे में क्या पोस्ट किया? क्या कोई कार्रवाई हुई? सिर्फ सनातनियों के खिलाफ कार्रवाई होती है. ये तुष्टिकरण की राजनीति है.’

बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने भी ममता बनर्जी पर पाखंड का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘ये केवल बंगाल की बात नहीं है- यह इस बारे में है कि एक युवा हिंदू महिला को वोट बैंक को खुश करने के लिए निशाना बनाया जा रहा है.’

आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने कहा कि शर्मिष्ठा ने अपनी गलती स्वीकारी और माफी मांग ली. उन्होंने टीएमसी पर सनातन धर्म का मजाक उड़ाने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘जब हमारी आस्था को कुछ कहा जाता है, तब आक्रोश कहां था? उन्होंने माफी क्यों नहीं मांगी? उनको तुरंत क्यों गिरफ्तार नहीं किया गया?’

कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने एक्स पर कहा, ‘सोशल मीडिया पोस्ट के लिए अंतरराज्यीय गिरफ्तारियां (जब तक यह स्पष्ट रूप से सिद्ध न हो कि इससे कानून और व्यवस्था की स्थिति प्रभावित हुई है) पुलिस शक्तियों का स्पष्ट दुरुपयोग है.’

विदेश से भी मिला समर्थन

शर्मिष्ठा को नीदरलैंड के सांसद गीर्ट वाइल्डर्स से भी समर्थन मिला है, उन्होंने कहा कि उनकी (शर्मिष्ठा) की गिरफ्तारी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए अपमान है. दक्षिणपंथी फॉर फ्रीडम के नेता ने पीएम मोदी से अपील की है कि वह शर्मिष्ठा की रिहाई सुनिश्चित करें.

अध्यक्ष ने की बंगाल सरकार की आलोचना

राजनेताओं के अलावा बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के अध्यक्ष वकील और राज्यसभा सांसद मनन मिश्रा ने शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए पश्चिम बंगाल सरकार की कड़ी आलोचना की है. मिश्रा ने अपने सार्वजनिक बयान में कहा है कि मैं शर्मिष्ठा पनोली के साथ मजबूती से खड़ा हूं. उनकी  गिरफ्तारी और न्यायिक हिरासत अब डिलीट हो चुके सोशल मीडिया वीडियो के लिए है. इस बाबत उनके तुरंत माफी मांगने के बावजूद कैद न्याय की पूर्ण विफलता है.  यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर जबरदस्त हमला है.

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