छत्तीसगढ़ के उद्यानिकी एवं वानिकी यूनिवर्सिटी में कुलपति के पद पर डॉ. आरआर सक्सेना की नियुक्ति का विवाद अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। इस मामले में दायर याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन और यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। आरोप है कि, कुलपति की नियुक्ति में योग्यता और अनुभव को दरकिनार किया गया है।
राज्य शासन ने अधिनियम के तहत उद्यानिकी विश्वविद्यालय की स्थापना की है। दुर्ग जिले के पाटन में संचालित इस यूनिवर्सिटी के पहले कार्यकारी कुलपति IAS महादेव कावरे को बनाया गया था। विश्वविद्यालय का उद्देश्य उद्यानिकी के क्षेत्र में अनुसंधान और प्रशिक्षण प्रदान करना है।
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जिसके बाद विश्वविद्यालय में नियमित कुलपति की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया शुरू की गई। जिसके तहत योग्य उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किए गए। नियुक्ति के लिए 3 सदस्यीय चयन समिति का गठन भी किया गया।
कुलपति की नियुक्ति को हाईकोर्ट में दी चुनौती
याचिकाकर्ता डॉ अवनिन्द्र कुमार सिंह ने यूनिवर्सिटी में डॉ. आरआर सक्सेना को कुलपति बनाए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें बताया गया है कि तीन सदस्यीय चयन समिति ने जारी विज्ञापन के आधार स्कूटनी की। जिसमें 38 आवेदकों में से 8 नाम का पैनल तैयार किया गया। जिसे राज्यपाल के सचिवालय को भेजा गया था। परीक्षण और प्रक्रिया के बाद डॉ. आरआर सक्सेना को कुलपति नियुक्त किया गया।
योग्यता और अनुभव को दरकिनार करने का आरोप
याचिका में बताया गया कि, कुलपति की नियुक्ति में निर्धारित प्रक्रिया का सही तरीके से पालन नहीं किया गया है। आवेदनकर्ताओं के आवेदन, उनके निर्धारित शैक्षणिक योग्यता और अनुभव का तुलनात्मक परीक्षण ही नहीं किया गया। चयन प्रक्रिया के दौरान सभी उम्मीदवारों द्वारा प्रस्तुत आवेदन के आधार पर चयन सूची जारी नहीं की गई और न ही आवेदकों को मेरिट के आधार पर अंक प्रदान किए गए।
याचिकाकर्ता का दावा है कि, शैक्षणिक योग्यता और अनुभव का तुलनात्मक विश्लेषण किया जाए तो याचिकाकर्ता सभी मापदंडों में अधिक योग्य है। इस मामले की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य शासन, महात्मा गांधी उद्यानिकी और विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।