प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) से जुड़े सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) भ्रष्टाचार मामले के संबंध में दिल्ली, अहमदाबाद, मुंबई और हैदराबाद में कई स्थानों पर छापेमारी की है. भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी), जीएनसीटीडी, नई दिल्ली द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर ईडी की जांच में दिल्ली में 10 एसटीपी के अपग्रेडेशन में 1943 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया गया है.
एफआईआर में यूरोटेक एनवायरनमेंटल प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी और अन्य पर बढ़ी हुई दरों पर टेंडर हासिल करने के लिए मिलीभगत करने का आरोप लगाया गया है, जिससे सरकारी खजाने को काफी नुकसान हुआ है.
क्या है मामला
इस छापेमारी में 41 लाख रुपये की नकदी, आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य मिले हैं. ईडी ने आगे की जांच के लिए इन सामग्रियों को जब्त कर लिया है. इस मामले में चार टेंडर शामिल हैं, जिनकी कीमत 1943 करोड़ रुपये हैं, जो अक्टूबर 2022 में तीन संयुक्त उद्यम संस्थाओं को दिए गए. ईडी ने पाया है कि निविदाएं बढ़ी हुई दरों पर दी गई थीं, और डीजेबी द्वारा अपनाई गई लागतें कम थीं, जबकि अपग्रेडेशन की लागत वृद्धि से कम थी.
कंपनियों ने टेंडर लेकर दूसरी कंपनी को दिया ठेका
जांच से पता चला है कि तीनों संयुक्त उद्यमों ने निविदाएं हासिल करने के लिए ताइवान की एक परियोजना से जारी एक ही अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया. इसके अलावा, तीनों संयुक्त उद्यमों ने हैदराबाद की मैसर्स यूरोटेक एनवायरनमेंट प्राइवेट लिमिटेड को काम का उप-ठेका दिया.
ईडी कथित घोटाले में डीजेबी अधिकारियों, संयुक्त उद्यमों और मैसर्स यूरोटेक एनवायरनमेंट प्राइवेट लिमिटेड की भूमिका की जांच कर रहा है. तलाशी अभियान डीजेबी की एसटीपी परियोजनाओं में भ्रष्टाचार के आरोपों के पीछे की सच्चाई को उजागर करने में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.