छत्तीसगढ़ में भारत माला परियोजना में भ्रष्टाचार को लेकर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। इस दौरान विभागीय मंत्री टंकराम वर्मा ने भ्रष्टाचार होने की बात स्वीकार की। उन्होंने हंगामे के बीच संभागीय आयुक्त से जांच कराने की घोषणा की, लेकिन विपक्ष CBI जांच की मांग पर अड़ा रहा।
इस दौरान CM विष्णुदेव साय ने नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत की मांग पर कहा कि कांग्रेस की सरकार ने तो CBI को बैन किया था। वहीं बीजेपी विधायक रिकेश सेन ने कहा कि कांग्रेस को अब केंद्रीय एजेंसियों पर भरोसा कैसे हो गया, जो लोग CBI को बैन करते हैं और ED पर सवाल उठाते हैं, वे अब खुद जांच की मांग कर रहे हैं।
मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा- भारत माला परियोजना में गड़बड़ी हुई
विधानसभा में चर्चा के दौरान राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने स्वीकार किया कि भारतमाला परियोजना में अनियमितताएं हुई हैं। उन्होंने कहा कि अधिसूचना जारी होने के बाद रकबे के टुकड़े कर दिए गए। पहले से अधिकृत भूमि का दोबारा भू-अर्जन किया गया।
नेता प्रतिपक्ष ने CBI जांच की मांग की
नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने सरकार के जवाब पर असंतोष जताया। उन्होंने कहा कि सिर्फ विभागीय जांच से दोषियों को बचने का मौका मिल जाएगा। यह एक बड़ा घोटाला है, जिसमें कई प्रभावशाली लोग शामिल हो सकते हैं। दोनों राजनीतिक दलों के लोग भी इसमें मिले हो सकते हैं।
महंत ने कहा कि सिर्फ निलंबन से कुछ नहीं होगा, बल्कि दोषी अधिकारियों पर FIR दर्ज कर उन्हें जेल भेजना चाहिए। निलंबन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिससे दोषी कुछ समय बाद फिर बहाल हो जाते हैं और उसी तरह से काम करते हैं।
जांच में कोताही नहीं बरती जाएगी- साय
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने CBI जांच की मांग पर विपक्ष को घेरा और कहा कि राजस्व मंत्री ने अच्छे से जवाब दिया है। अगर जांच में कोई शिकायत होगी तो हमें बताइएगा। इसमें कोई कोताही नहीं बरती जाएगी, लेकिन कांग्रेस सरकार ने ही CBI को प्रदेश में बैन कर दिया था। अब वही कांग्रेस CBI जांच की मांग कर रही है।
विधायकों की समिति से जांच की मांग
वहीं नेता प्रतिपक्ष ने विपक्ष के विधायकों की समिति बनाकर जांच कराने की मांग की, लेकिन सरकार ने खारिज कर दिया। आयुक्त से जांच कराने का निर्णय लिया। इससे नाराज विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया। वॉकआउट के बाद चरणदास महंत ने भ्रष्टाचार के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की बात कही है।
उन्होंने कहा कि सरकार दोषियों को बचाने की कोशिश कर रही है, इसलिए विपक्ष को कानूनी रास्ता अपनाना पड़ेगा।