रीवा जिले में सचिवीय पदस्थापना में भ्रष्टाचार: अनियमितताओं पर जांच की आवश्यकता

रीवा : जिले में जिला पंचायत कार्यालय के अंतर्गत जनपद पंचायतों में सचिवीय पदस्थापना के मामलों में गंभीर अनियमितताएं उजागर हुई हैं. भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे सचिवों को अतिरिक्त सचिवीय और वित्तीय प्रभार सौंपा जा रहा है, जिससे न केवल शासन की साख पर सवाल उठ रहे हैं, बल्कि जनता के कर के पैसे का दुरुपयोग भी हो रहा है.

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भ्रष्टाचारी को अतिरिक्त प्रभार

मध्य प्रदेश पंचायतराज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम की धारा 40 और 92 के तहत भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबन और वसूली की कार्रवाई लंबित होने के बावजूद, सचिव गैवीलाल कोल को ग्राम पंचायत छिरेहटा का अतिरिक्त सचिवीय और वित्तीय प्रभार सौंप दिया गया. यह आदेश दिनांक 19 फरवरी 2025 को जिला पंचायत कार्यालय द्वारा जारी किया गया.

ग्राम पंचायत सकरवट के ग्राम बनकुइयां में सामुदायिक स्वच्छता परिसर निर्माण घोटाले में सचिव गैवीलाल कोल का नाम पहले से ही जांच प्रतिवेदन में दर्ज है. घोटाले की जांच में बैंक स्टेटमेंट सहित अन्य साक्ष्य भी प्रस्तुत किए गए थे. बावजूद इसके, इन्हें नई जिम्मेदारी सौंप दी गई.

घोटाले और भ्रष्टाचार का सिलसिला जारी

ग्राम पंचायत सकरवट में सामुदायिक स्वच्छता परिसर निर्माण के लिए स्वीकृत राशि का दुरुपयोग किया गया. तीन साल बाद भी शासकीय धनराशि की वापसी नहीं हो पाई है. इस मामले में सरपंच विष्णु वर्मा और तत्कालीन सचिव गैवीलाल कोल के खिलाफ वसूली और निलंबन की अनुशंसा की गई थी. इसके बावजूद, कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.

ग्राम पंचायत छिरेहटा में पदस्थ होने के बाद, सचिव ने कथित तौर पर पुनः वित्तीय अनियमितताओं की शुरुआत कर दी है, जो जांच का गंभीर विषय है.

 

कार्यालय की भूमिका संदिग्ध

दस्तावेजों से साफ है कि जिला पंचायत कार्यालय के अधिकारी इस अनियमितता में शामिल हैं. संशोधित पत्रों की अनदेखी और भ्रष्टाचारियों की पदस्थापना से यह स्पष्ट है कि कार्यालय के कुछ कर्मचारी अपनी जेबें भरने के लिए इस खेल में लिप्त हैं.

जनपद पंचायत रीवा द्वारा 27 जनवरी 2025 को भेजे गए संशोधित पत्र को दरकिनार कर 19 फरवरी 2025 को भ्रष्टाचारी सचिव को प्रभार सौंपने का आदेश जारी किया गया. यह दर्शाता है कि वरिष्ठ कार्यालय भ्रष्टाचार रोकने के बजाय इसे प्रोत्साहित कर रहा है.

 

जांच और कार्रवाई की मांग

रीवा जिला पंचायत कार्यालय में चल रहे इन भ्रष्टाचार के मामलों पर तत्काल जांच और कार्रवाई की आवश्यकता है. सचिवीय पद पर भ्रष्ट व्यक्तियों की नियुक्ति न केवल पंचायत व्यवस्था को कमजोर कर रही है, बल्कि जनता का विश्वास भी डगमगा रहा है.

अब देखने वाली बात यह होगी कि कब तक ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जाती रहेगी और कब शासन इन पर सख्त कदम उठाएगा. ग्रामीण विकास विभाग को जल्द ही इन मामलों पर ठोस कार्रवाई करनी होगी ताकि जनता का विश्वास बहाल हो सके.

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