देसूरी : कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के सादड़ी और देसूरी वनक्षेत्र में प्राकृतिक जलस्त्रोतों पर प्रवासी जलपक्षियों की गणना मंगलवार से शुरू हुई. यह मध्य शीतकालीन गणना बुधवार शाम तक चलेगी. सादड़ी और देसूरी रेंज के नलवानिया बांध, राजपुरा बांध, लाटाड़ा, छोड़ा और सेली की नाल जैसे जलस्त्रोतों पर यह प्रक्रिया विभागीय निर्देशानुसार संचालित की जा रही है.
प्रारंभिक गणना में प्रवासी पक्षियों की संख्या अपेक्षाकृत कम दर्ज की गई, जिसका कारण जलस्त्रोतों में पानी की अधिकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी दिनों में जलस्तर घटने के साथ पक्षियों की आवक में वृद्धि होगी.
गणना के दौरान लिटिल ग्रेव, ग्रेट और लिटिल कॉरमोरेंट, ग्रेट हैरन, पर्पल हैरन, ब्राह्मणी डक, स्पॉट बिल डक, कॉम्ब डक जैसे विभिन्न प्रजातियों के प्रवासी पक्षी देखे गए. इसके अलावा, बांध की चट्टानों पर धूप का आनंद लेते मगरमच्छ भी विशेष आकर्षण बने.
सटीक आंकलन में जुटा वन विभाग
सहायक वनसंरक्षक प्रमोदसिंह नरुका और रेंजर जितेन्द्रसिंह के अनुसार, इस वर्ष की गणना से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण सभी रेंज से डेटा एकत्र करने के बाद किया जाएगा. फिलहाल प्रारंभिक रुझान पिछले वर्ष की तुलना में प्रवासी पक्षियों की संख्या में वृद्धि का संकेत दे रहे हैं.
वन अधिकारियों की देखरेख में कार्य संपन्न
इस गणना में वनपाल ईश्वरसिंह चौहान, भैराराम विश्नोई, सतीश प्रजापत, राजकुमार, सुनील मीणा और इको गाइड छगन देवासी सहित कई अधिकारी व कर्मी शामिल रहे.
प्राकृतिक संतुलन का संकेत
विशेषज्ञों का कहना है कि जलस्त्रोतों में पानी की कमी होने पर प्रवासी पक्षियों की संख्या और बढ़ेगी, जिससे इन क्षेत्रों के जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की समृद्धि का आकलन किया जा सकेगा.