भारत में जहां सरकार इंसानों की गिनती करने के लिए ‘जनगणना’ कराती है. वहीं अब देश में गाय-भैंस, भेड़-बकरी जैसे पशुधन की भी गिनती शुरू हो चुकी है. केंद्र सरकार ने 5 साल में इस काम को पूरा करने का लक्ष्य रखा और इसके लिए तगड़ा बजट भी तैयार किया है.
ये देश में 21वीं बार है जब सरकार पशुधन की गणना करा रही है. केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ने हाल ही में इसकी शुरुआत की है और इस काम को फरवरी 2025 तक यानी सिर्फ 5 महीने में पूरा किया जाना है. इससे बड़े स्तर पर रोजगार का भी सृजन होने की उम्मीद है.
भेड़-बकरी की गिनती के लिए 200 करोड़ बजट
सरकार ने 21वीं पशुधन गणना के लिए पूरे 200 करोड़ रुपए का बजट रखा है. इस फंड को खर्च करके पशुधन का जो डेटा कलेक्ट होगा उससे सरकार पशुधन की संख्या, उनकी स्वास्थ्य और अन्य बातों के बारे में सटीक जानकारी मिलेगी. इससे सरकार को पशुधन के स्वास्थ्य और पशुपालन सेक्टर में अच्छी ग्रोथ हासिल करने के लिए उचित डेटा हासिल होगा.
इतना ही मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन ने 2.5 करोड़ डॉलर (करीब 211 करोड़ रुपए) का ‘पैनडेमिक फंड प्रोजेक्ट’ भी लॉन्च किया है. ये फंड पशुओं के बीच फैलने वाली महामारी से उनके बचाव और स्वास्थ्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने का काम करेगा.
कौन-कौन से जानवरों की होगी गिनती?
इस पशुधन गणना के दौरान सरकार 16 प्रजाति के जानवरों की 219 स्थानीय नस्ल की गिनती करेगी. इसमें गाय-भैंस से लेकर भेड़-बकरी और मु्र्गियों तक की अलग-अलग प्रजाति और नस्ल की गणना की जाएगी. इतना ही नहीं सरकार चरवाहों के डेटा को अलग से कलेक्ट करेगी, ताकि इस समुदाय के लिए स्पष्ट नीतियां बनाई जा सकें.
पैदा होंगे 1 लाख रोजगार
इस 21वीं पशुधन गणना को अखिल भारतीय स्तर पर किया जाएगा. इससे फील्ड लेवल पर डेटा कलेक्शन करने के लिए कई स्थानीय रोजगार पैदा होंगे. इनकी संख्या करीब 1 लाख तक पहुंच सकती है. इनमें अधिकतर पशु चिकित्सक या पैरा पशुचिकित्सकों को ही नौकरी पर रखे जाने की उम्मीद है.