तेलंगाना के खम्मम जिले के रहने वाले एक युवक की अमेरिका में एक गैस स्टेशन पर बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी. युवक वहां पर काम करता था. मृतक की पहचान साई तेजा नुकारापु (22) के रूप में हुई है. इस घटना में मदद के लिए तेलुगु एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (टीएएनए) के सदस्यों से स्थानीय एमएलसी ने बात की है. उसके शव के अगले सप्ताह भारत पहुंचने की उम्मीद है.
बीआरएस एमएलसी मधुसूदन थाथा ने अमेरिका से प्राप्त प्रारंभिक सूचना का हवाला देते हुए बताया कि साई तेजा नुकारापु (22) को शनिवार तड़के शिकागो के पास गैस स्टेशन पर हमलावरों ने गोली मार दी. एमएलसी ने खम्मम के पास पीड़ित के माता-पिता से मुलाकात की है. उसके बाद उन्होंने कहा कि घटना के समय साई तेजा ड्यूटी पर नहीं था, बल्कि वो अपने एक दोस्त की मदद कर रहा था.
अमेरिका में रहकर एमबीए कर रहा था छात्र
उसने उसे कुछ समय के लिए रुकने के लिए कहा था. दोस्त किसी काम से बाहर गया हुआ था. साई तेजा ने भारत में बीबीए की पढ़ाई पूरी की थी. इसके बाद अमेरिका में रहकर एमबीए कर रहा था. पीड़ित के एक रिश्तेदार ने बताया कि मृतक अंशकालिक नौकरी करता था. उन्होंने कहा कि यह जानकर दुख हुआ कि साई तेजा की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जब वो अपने दोस्त की मदद कर रहा था.
बताते चलें कि इसी साल जून में आंध्र प्रदेश के बापटला जिले के रहने वाले 32 वर्षीय छात्र दासारी गोपीकृष्ण की अमेरिका के एक सुपरमार्केट में हुई गोलीबारी में मौत हो गई थी. गोपीकृष्ण बेहतर आजीविका की तलाश में आठ महीने पहले अमेरिका चला गया था. वहां एक सुपरमार्केट में काम कर रहा था. गोलीबारी के दौरान काउंटर पर मौजूद था. उसी समय एक अज्ञात हमलावर ने स्टोर में प्रवेश किया.
जून में आंध्र प्रदेश के छात्र की हुई थी हत्या
वहां गोलियां बरसानी शुरू कर दी. इस गोलीबारी में गोपीकृष्ण गंभीर रूप से घायल हो गया और उसी वक्त घटनास्थल पर ही गिर पड़ा. आनन-फानन में उसे नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. गोपीकृष्ण करलापलेम मंडल के याजली का मूल निवासी था. उसकी असामयिक मृत्यु से पत्नी और बेटे सहित पूरे परिवार के लोग गहरे सदमे में चले गए थे.
अमेरिका में भारतीय मूल के छात्रों की मौत का सिलसिला नहीं थम रहा है. एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि इस साल अब तक भारतीय मूल के कम से कम 12 छात्रों की मौत हो चुकी है. अप्रैल महीने में भी 25 साल के मोहम्मद अब्दुल अरफात नामक एक छात्र अमेरिका के क्लीवलैंड शहर में मृत पाया गया था. अरफात क्लीवलैंड यूनिवर्सिटी से आईटी में मास्टर्स की पढ़ाई करने गया था.
अमेरिका में रह रहे भारतीयों में डर का माहौल
वो एक महीने से लापता था. उसे ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा था. रिपोर्ट के मुताबिक, अरफात 5 मार्च को अपने घर से निकला था और फिर वापस नहीं लौटा. आखिरी बार 7 मार्च को परिजनों से बात की थी. अचानक बढ़ती ऐसी घटनाओं से अमेरिका में रह रहे भारतीय और भारतवंशियों में डर का माहौल है. इस पर फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज ने रिसर्च की है.
इसमें ऐसी घटनाओं का विश्लेषण कर मौतों के संभावित कारणों का पता लगाने की कोशिश की थी. बोस्टन में रह रहीं लक्ष्मी थलांकी ने 10 मौतों का डेटा एनालिसिस कर बताया कि भारतीय छात्रों की मौत की बढ़ती घटनाएं संदिग्ध हैं. भारतीय छात्रों की मौत की वजह संदिग्ध गोलीबारी या किडनैपिंग के अलावा सुसाइड के लिए उकसाने वाला मानसिक तनाव और हिंसक अपराध तक शामिल हैं.