बिहार के मधुबनी जिले में एक असाधारण घटनाक्रम ने सभी को चौंका दिया है। कोर्ट के आदेश पर जिले के कलेक्ट्रेट भवन और उसकी जमीन की नीलामी की तैयारी शुरू हो गई है। मंगलवार को कोर्ट द्वारा जारी नीलामी आदेश को मधुबनी कलेक्ट्रेट के मुख्य द्वार पर चस्पा कर दिया गया, जिससे प्रशासनिक हलकों में अफरातफरी मच गई।यह आदेश जिले की प्रधान जिला जज अनामिका टी की अदालत ने एक पुराने भुगतान विवाद में सुनाया है। अदालत ने निर्देश दिया है कि यदि 15 दिनों के भीतर राधा कृष्णा एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड, कोलकाता को चार करोड़ 17 लाख रुपए की बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया, तो कलेक्ट्रेट की 10 कट्ठा जमीन और दो मंजिला भवन की नीलामी की जाएगी।
पुराना है मामला, अब्रायट्रेशन का फैसला भी हो चुका था
दरअसल, राधा कृष्णा एक्सपोर्ट्स के निदेशक रतन कुमार केडिया ने सूत मिल में की गई पूंजी निवेश और कच्चे माल की आपूर्ति की राशि वर्षों से नहीं मिलने पर कानूनी रास्ता अपनाया था। इस संबंध में वर्ष 2012 में अब्रायट्रेशन के तहत पटना हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस घनश्याम प्रसाद ने भुगतान का आदेश दिया था। बावजूद इसके न कंपनी को राशि मिली और न ब्याज।इसके बाद कंपनी ने 2016 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में मामला दर्ज कराया। न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए भुगतान या नीलामी का आदेश जारी किया।
नीलामी का आदेश देखते ही प्रशासन में मची हलचल
नोटिस को मधुबनी सिविल कोर्ट के नाजिर दुर्गानंद झा ने चस्पा किया। मौके पर आवेदक के वकील हरिशंकर श्रीवास्तव और नायब नाजिर अवधेश कुमार भी मौजूद थे। नाजिर ने बताया कि यदि समय पर भुगतान नहीं हुआ तो दक्षिण हिस्से की 10 कट्ठा भूमि और भवन को नीलाम कर राशि वसूल की जाएगी।
डीएम ने जताई अनभिज्ञता
मधुबनी की जिलाधिकारी ने मामले की जानकारी होने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि जैसे ही कोर्ट के आदेश और नोटिस की आधिकारिक जानकारी मिलेगी, प्रशासन जरूरी कदम उठाएगा।यह मामला न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि समय पर भुगतान न करने से किस तरह सरकारी परिसंपत्तियां भी संकट में आ सकती हैं।