कुरूद में धान पर संकट: बारिश की बेरहमी और अव्यवस्था ने किसानों-मिलर्स को डुबोया, तस्वीरों में उजागर हुई भयावह दुर्दशा

कुरूद: छत्तीसगढ़ के कुरूद क्षेत्र में बारिश और धान संग्रहण केंद्रों की घोर लापरवाही ने समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान को तबाही के कगार पर पहुंचा दिया है. शासन की उदासीनता, योजना के अभाव और प्रशासन की नाकामी से किसान और राइस मिलर्स संकट की चपेट में हैं. सामने आई तस्वीरें इस बदहाली की साक्षी हैं, जहां कीचड़ से लथपथ फड़ों में ट्रैक्टर और जेसीबी मशीनें फंस रही हैं. धान की बोरियां पानी में डूबी हुई हैं और उठाव कार्य पूरी तरह ठप पड़ा है. यह दृश्य न केवल राष्ट्रीय संपत्ति की बर्बादी को दर्शाते हैं, बल्कि किसानों की कड़ी मेहनत पर पानी फेर रहे हैं. जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग तेज हो रही है, क्योंकि ये तस्वीरें शासन की विफलता को बेनकाब कर रही हैं.

तस्वीरों से झलकती दुर्दशा

दलदल में फंसे वाहन, पानी में डूबतीं बोरियां संग्रहण केंद्रों की खराब स्थिति को बयां करती ये तस्वीरें संकट की गहराई दिखाती हैं. कीचड़ भरे रास्तों पर नीले ट्रैक्टर धान की बोरियों से लदे हुए नजर आ रहे हैं, जहां लोग बोरियां लादने में जुटे हैं. सामने दलदली कीचड़ और पानी के गड्ढे इतने गहरे हैं कि वाहनों का आगे बढ़ना नामुमकिन लगता है, जबकि नीचे की तरफ काली प्लास्टिक शीट पानी में तैर रही है. ये दृश्य बताते हैं कि बारिश ने फड़ों को दलदल में तब्दील कर दिया है, जिससे जीपीएस युक्त ट्रकों से उठाव असंभव हो गया है और मिलर्स को ट्रैक्टरों का सहारा लेना पड़ रहा है.


एक अन्य दृश्य में पीली जेसीबी मशीन कीचड़ भरे गड्ढों में धंसी हुई है और आगे खुदाई करती दिख रही है. पृष्ठभूमि में धान की सफेद बोरियां बिखरी पड़ी हैं, जबकि पूरा क्षेत्र कीचड़ और पानी की धाराओं से पट गया है. यह स्थिति संग्रहण केंद्रों के रखरखाव की कमी को उजागर करती है, जहां मशीनें भी इस दलदल से लड़ रही हैं. किसान और मिलर्स का कहना है कि ऐसी हालत में धान की गुणवत्ता बिगड़ना लाजमी है और उठाव की लागत दोगुनी हो रही है.

दूर तक फैले कीचड़ भरे मैदान की तस्वीर में धान की बोरियों के ढेर काली टार्प से ढके हुए हैं, लेकिन कई जगह पानी में डूबे नजर आ रहे हैं. पृष्ठभूमि में ट्रैक्टर और वाहन खड़े हैं, जबकि जमीन पर गहरे निशान और पानी की धाराएं बह रही हैं. यह व्यापक दृश्य पूरे फड़ की तबाही को कैद करता है, जहां लगातार बारिश ने सब कुछ उजाड़ दिया है. इन तस्वीरों से साफ है कि धान में 20-25% तक डैमेज, डिसकलर और पाखा की समस्या आ रही है, जिससे चावल की मिलिंग मुश्किल हो गई है.


संग्रहण केंद्रों की बदहाली

दलदल ने ठप किया उठाव खरीफ वर्ष 2024-25 में शासन ने बोनस सहित समर्थन मूल्य पर धान खरीदा, लेकिन संग्रहण केंद्रों की भयावह स्थिति ने सब बिगाड़ दिया. फड़ों में दलदल के कारण ट्रकों से उठाव नामुमकिन है और कुछ मिलर्स ट्रैक्टरों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो बिना जीपीएस के हैं. इससे स्थिति और खराब हो रही है, परिवहन व्यय दुगुना हो रहा है और शॉर्टेज की समस्या बढ़ रही है. राइस मिलर्स का आक्रोश चरम पर है, वे कहते हैं कि बारिश थमने के बाद ही उठाव संभव होगा.

धान की गुणवत्ता पर संकट

आर्थिक-मानसिक तनाव बारिश और खराब रखरखाव से धान की क्वालिटी बद से बदतर हो गई है. उठाए गए धान में 20-25% डैमेज आ रहा है, जिससे मानक चावल बनाना असंभव है. मिलर्स शासन से जे.बी., आर.ओ. और डी.ओ. निरस्त करने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि ये बिना ऑनलाइन आवेदन के काटे गए हैं. ये तस्वीरें मिलर्स की आर्थिक और मानसिक प्रताड़ना को जीवंत बनाती हैं.

राइस मिलर्स का आक्रोश

मांगें और जवाबदेही मिलर्स ने शासन से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की है. वे कहते हैं कि ऐसी अव्यवस्था के लिए प्रशासन जिम्मेदार है और अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो. यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो धान खरीदी पर गहरा असर पड़ेगा.

शासन पर सवाल

कब आएगा सुधार? ये तस्वीरें शासन की लापरवाही का आईना हैं. सवाल है कि आखिर कब तक किसान और मिलर्स इस दुर्दशा का सामना करेंगे? शासन को तुरंत संग्रहण केंद्रों को दुरुस्त करना होगा, गुणवत्ता बचाने के उपाय अपनाने होंगे और मिलर्स की मांगों पर अमल करना होगा. अन्यथा, छत्तीसगढ़ की धान व्यवस्था पर स्थायी संकट मंडरा सकता है.

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