राम मंदिर के नाम पर करोड़ों की ठगी! प्रसाद भेजने का दिया झांसा, 6 लाख श्रद्धालुओं से लूटे 3.85 करोड़ रुपये

अयोध्या: राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का प्रसाद ऑनलाइन भेजने के नाम पर देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं से करोड़ों रुपये ठगने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है. एक संगठित साइबर अपराधी ने वेबसाइट बनाकर 6 लाख 30 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को ‘प्रसाद सेवा शुल्क’ के नाम पर लुभाया और देखते ही देखते तीन करोड़ 85 लाख रुपये से ज्यादा की ठगी कर डाली.

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यह फर्जीवाड़ा जनवरी 2024 में शुरू हुआ, जब राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के पावन अवसर पर देश-दुनिया में श्रद्धा की लहर थी. इसी श्रद्धा और आस्था का फायदा उठाकर गाजियाबाद निवासी आशीष नामक युवक ने एक वेबसाइट बनाई। इसमें दावा किया गया कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद राम मंदिर से पवित्र प्रसाद श्रद्धालुओं को उनके पते पर भेजा जाएगा। इसके लिए भारतीय श्रद्धालुओं से 51 रुपये और विदेशी श्रद्धालुओं से 11 डॉलर ‘सुविधा शुल्क’ लिया गया.

शुरुआत में लोगों को वेबसाइट पर राम मंदिर, भगवान श्रीराम और प्रसाद वितरण की तस्वीरों व कथाओं से आकर्षित किया गया. श्रद्धालुओं ने भारी संख्या में रजिस्ट्रेशन कर भुगतान किया। लेकिन न तो किसी को प्रसाद मिला और न ही बाद में वेबसाइट ही खुली.

17 जनवरी 2024 को जब इस फर्जीवाड़े की शिकायतें अयोध्या के साइबर थाने में पहुंचीं, तो तत्कालीन थाना प्रभारी आलोक कुमार ने प्राथमिकी दर्ज की। जांच में सामने आया कि अकेले भारत से नहीं, बल्कि अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे देशों के श्रद्धालु भी इस ठगी के शिकार बने. आरोपी आशीष को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। पूछताछ में सामने आया कि उसके पास विदेशी पासपोर्ट भी था और वह तकनीकी रूप से काफी दक्ष था.

साइबर थाना प्रभारी मोहम्मद अरशद की अगुवाई में एक विशेष टीम ने मामले की गहराई से जांच की। एक वर्ष की कड़ी मेहनत के बाद तीन लाख 72 हजार से अधिक पीड़ितों को 2.15 करोड़ रुपये की ठगी गई धनराशि वापस कराई गई। शेष राशि — करीब 1.70 करोड़ रुपये — भी जल्द ही संबंधित पेमेंट गेटवे के ज़रिए लौटाए जाने की प्रक्रिया में है.

एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया कि यह ठगी श्रद्धा के नाम पर विश्वासघात की बेहद संगीन मिसाल है, जिसमें आरोपी ने करोड़ों की रकम एकत्र कर केवल आर्थिक अपराध नहीं किया, बल्कि धर्म व आस्था के साथ भी छल किया.

प्रशासन ने जनता से अपील की है कि भविष्य में किसी भी धार्मिक आयोजन से जुड़े ऑनलाइन दावों की सत्यता को जरूर परखें और केवल आधिकारिक वेबसाइट या सरकारी पोर्टलों पर ही विश्वास करें.

सावधान रहें, श्रद्धा को ठगी का साधन न बनने दें.

 

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