गाजीपुर :पितृ विसर्जन अमावस्या हिंदुओं का धार्मिक कार्यक्रम है जिसे प्रत्येक घर में श्रद्धा के साथ मनाया जाता है.इस दिन हिंदुओं में अपने पूर्वजों की मृत्यु के पश्चात् जिन्हें पितृ (पितर) की संज्ञा दी जाती उनके सम्मान में ,उनके प्रति श्रद्धा भाव व्यक्त करने के लिए एक धार्मिक कार्य क्रम का आयोजन होता है.ब्राह्मण समाज की बात माने तो आश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक पूर्वजों की आत्मशांति के लिए विधि-विधान पूर्वक श्राद्ध करने की परंपरा है. आश्विन मास की अमावस्या आज है. आज के दिन सर्व पितृ विसर्जन करने का विधान है. आज किए गए श्राद्ध से पितृगण प्रसन्न होकर जीवन में सुख-सौभाग्य व खुशहाली का आशीर्वाद देते हैं.
गाजीपुर गंगा घाट के पुजारी कन्हैया पांडे ने बताया कि सनातन धर्म में हिन्दू मान्यता के अनुसार मुख्य रूप से 5 ऋण माने गए हैं. प्रथम-देवऋण, द्वितीय-ऋषिऋण, तृतीय-पितृऋण, चतुर्थ-मातृऋण, पंचम मानवऋण. इन ऋणों से मुक्ति पाने के लिए समय-समय पर विधि-विधानपूर्वक धार्मिक अनुष्ठान करते रहना चाहिए.
गाजीपुर में भी आज सभी गंगा घाटों पर पितृ विसर्जन करने वालों की काफी भीड़ देखने को मिल रही है ऐसे में गाजीपुर का अति प्राचीन पोस्ता घाट पर सुबह सूर्य की किरण निकलते ही लोग अपने-अपने पितरों को तरपान करने के लिए गंगा घाट की तरफ बढ़ चले हैं इसके लिए ग्रामीण इलाकों से आने वाले लोग अपना मुंडन करने के पश्चात गंगा घाट पर ब्राह्मणों की देखरेख में अपने पितरों को पिंडदान और तर्पण कर रहे हैं तो वही बहुत सारे लोग जो शहरी इलाके के रहने वाले हैं वह बगैर मुंडन के भी पिंडदान करते नजर आए.
गंगा घाट के मंदिर के पुजारी ने बताया कि पितृ विसर्जन का हमारे जीवन में बड़ा महत्व है क्योंकि हमारे जो पूर्वज जो अब दुनिया में नहीं है वह हमारे लिए भगवान है और उसे भगवान का पूजन करने के लिए इन 15 दोनों का यह पितृ पक्ष बनाया गया है जिसमें बहुत सारे लोग तिथि के अनुसार अपने पितरों का पिंडदान और तर्पण करते हैं और अधिकतर लोग अमावस्या के दिन करते हैं बहुत सारे लोग इसी पितृ पक्ष में बिहार के गया जनपद में इसी पितृ पक्ष में बिहार के गया जनपद में अपने पितरों को बैठने के साथ ही वाराणसी में त्रिपिंडी का कार्यक्रम भी करते हैं.