ऑपरेशनल दक्षता में सुधार और जवानों को ज्यादा पारिवारिक समय देने के लिए सीआरपीएफ अपनी 130 से ज्यादा बटालियनों को फिर से संगठित कर रहा है. इसमें बटालियनों को भौगोलिक रूप से नजदीकी ग्रुप सेंटरों से जोड़ना शामिल है. इस कदम का उद्देश्य आपूर्ति संबंधी समस्याओं को कम करना और रसद में सुधार करना है.
नया प्रोटोकॉल 1 दिसंबर से प्रभावी होगा, जिससे ऑपरेशनल और प्रशासनिक दक्षता दोनों में बढ़ोतरी होगी. यह फैसला आठ साल बाद लिया जा रहा है. पिछले हफ्ते केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे मंजूरी दी थी. पुनर्गठन के तहत CRPF की कुल 248 में से 137 बटालियनों को उन ग्रुप सेंटर्स (जीसी) से जोड़ा जाएगा जो भौगोलिक रूप से उनकी तैनाती के स्थान के करीब हैं.
एक बटालियन में इतनी पावर
वीआईपी सुरक्षा प्रदान करने वाली विशेष सीआरपीएफ बटालियनों और दंगा-रोधी रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) को इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाएगा. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ की एक बटालियन में 1,000 से अधिक कर्मियों की क्षमता होती है. लगभग 3.25 लाख कर्मियों के साथ देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ के कई शहरों में ग्रुप सेंटर हैं, जो प्रत्येक बटालियन के लगभग पांच मुख्यालयों के रूप में कार्य करते हैं.
यह है पुनर्गठन का उद्देश्य
रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले कुछ सालों में CRPF का विस्तार हुआ है और ग्रुप सेंटरों से जुड़ी बटालियनों को उनके मूल आधार से बहुत दूर तैनात किया गया है ताकि नक्सल विरोधी अभियान, पूर्वोत्तर में उग्रवाद विरोधी अभियान और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी ड्यूटी जैसी उभरती आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना किया जा सके, लेकिन इस तरह की तैनाती से आपूर्ति, रसद और रसद संबंधी समस्याएं पैदा हुई. अब नए पुनर्गठन का उद्देश्य इन कार्यों पर लगने वाले समय और ऊर्जा को कम करना है.
CRPF की तैनाती में बड़े बदलाव
नया प्रोटोकॉल को एक दिसंबर से लागू करने का फैसला पिछले दो से तीन सालों में CRPF की तैनाती में बड़े पैमाने पर बदलाव की वजह से लिया गया है, जिसमें बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्य से इकाइयों को हटाकर छत्तीसगढ़, मणिपुर और जम्मू-कश्मीर में अशांत स्थानों पर तैनात किया गया.