Vayam Bharat

65 डॉलर तक जा सकता है कच्चा तेल, 5 रुपए तक सस्ता होगा पेट्रोल!

इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत में बड़ी गिरावट देखने को मिल चुकी है. खाड़ी देशों के कच्चे तेल से लेकर अमेरिकी क्रूड ऑयल की कीमत में बड़ गिरावट देखने को मिल रही है. ब्रेंट क्रूड ऑयल 72 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ चुका है. वहीं डब्ल्यूटीआई 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ चुका है. जानकारों की मानें तो चीन और अमेरिका के डाटा हेल्दी ना के कारण कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है. वहीं दूसरी ओर ओपेक भी एक अक्टूबर से प्रोडक्शन बढ़ाने के संकेत दे चुके हैं. जिसका असर कच्चे तेल की कीमतों में देखा जा रहा है. लीबिया का प्रोडक्शन का इश्यू भी रिसॉल्व हो चुका है. ऐसे में कच्चे तेल की कीमत में और गिरावट देखी जा रही है.

Advertisement

जानकारों का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों गिरावट जारी रह सकती है. कुछ का कहना है कि खाड़ी देशों का तेल 65 डॉलर प्रति बैरल तक नीचे आ सकता है. जबकि कुछ का कहना है कि अगर ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 70 डॉलर से नीचे आए तो ओपेक प्रोडक्शन बढ़ाने का फैसला टाल सकते हैं. ऐसे में कच्चे तेल की कीमतें फिर से ऊपर आ जाएंगी.

 

वहीं दूसरी ओर फेड की ओर से इंट्रस्ट रेट में कटौती भी कच्चे तेल की कीमतों को सपोर्ट करेगी. अब सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा हो गया है कि क्या पेट्रोल और डीजल के दाम कम होंगे? एक्सपर्ट के मुताबिक अगर कच्चे तेल की कीमतें 65 डॉलर तक आ जाती हैं तो पेट्रोल और डीजल की कीमत में 5 रुपए की गिरावट देखने को मिल सकती है. आइए पेट्रोल और डीजल का गणित समझने की कोशिश करते हैं.

73 डॉलर से नीचे आया ब्रेंट क्रूड

खाड़ी देशों का कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 73 डॉलर से नीचे आ गए हैं. विदेशी बाजारों के अनुसार ब्रेंट क्रूड ऑयल के दौरान कारोबारी सत्र के दौरान 72.61 डॉलर प्रति बैरल पर देखने को मिले. वैसे मौजूदा समय में कीमतें 73.55 डॉलर पर देखने को मिल रही है. खास बात तो ये है कि बीते 24 घंटे में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 6.33 फीसदी की गिरावट देखने को मिल चुकी है. वहीं अगर बात 15 अगस्त के बाद से बात करें तो खाड़ी देशों के तेल की कीमत में 10.36 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. कुछ जानकारों की मानें तो खाड़ी देशों का कच्चा तेल और 5 से 8 डॉलर तक टूट सकता है.

 

70 डॉलर से नीचे अमेरिकी तेल

वहीं दूसरी ओर अमेरिकी कच्चे तेल की कीमत में और गिरावट देखने को मिल चुकी है. आंकड़ों के अनुसार कारोबारी दिन में अमेरिकी तेल के दाम 69.10 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए. मौजूदा समय में अमेरिकी तेल की कीमत 69.98 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है. वैसे 7.14 फीसदी प्रति बैरल की गिरावट देखने को मिल चुकी है. खास बात तो ये है कि 15 अगस्त के बाद से अमेरिकी ऑयल के दाम 11.59 फीसदी की गिरावट देखने को चुकी है. अमेरिकी ऑयल के दाम 63 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकते हैं.

 

कौन कर रहा है कच्चा तेल सस्ता?

सितंबर में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आने की भी संभावना बढ़ी हुई है. एक्सपर्ट के अनुसार कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा का प्रमुख कारण फेड की ओर से बढ़ाई जाने वाली ब्याज दर है. जिससे कच्चे तेल की कीमतों को सपोर्ट मिलेगा.

इसके अलावा ओपेक पहले ही इस बात की ओर इशारा कर चुका है. कच्चे तेल की कीमतें 70 डॉलर या उससे नीचे जाता है तो संगठन अपने प्रोडक्शन बढ़ाने के फैसले को टालते हुए प्रोडक्शन कट जारी रखेगा. जिससे कीमतों में तेजी आ सकती है.

मिडिल ईस्ट की टेंशन कम नहीं हुई है. जुबानी लड़ाई की वजह से कीमतें अभी कंट्रोल में है. जिस भी दिन किसी पक्ष की ओर से हथियारों का इस्तेमाल हुआ तो कच्चे तेल की सप्लाई बाधित होगी और कीमतों में उछाल देखने को मिलेगा.

सस्ता होगा पेट्रोल और डीजल?

सबसे बड़ा सवाल ये है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम होंगी या नहीं. इस सवाल का जवाब इस बात पर डिपेंड करता है कि सितंबर के महीने में ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 65 डॉलर प्रति बैरल के करीब आते हैं या नहीं. अगर कीमतों में गिरावट जारी रहती है तो पेट्रोल और डीजल की कीमत में 5 रुपए प्रति लीटर की कटौती देखने को मिल सकती है. अगर कीमतों में इजाफा होता है तो दाम वहीं रहेंगे जो मार्च मिड से बने हुए हैं. आखिरी बार पेट्रोल और डीजल की कीमत में गिरावट 15 मार्च से देखने को मिली थी. सरकार ने 2 रुपए की कटौती थी.

 

क्या कहते हैं जानकार?

एचडीएफसी सिक्योरिटी के कमोडिटी करेंसी के हेड अनुज गुप्ता के अनुसार ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें सितंबर महीने में गिरावट की ओर जा रही हैं. कीमतें 65 से 68 डॉलर प्रति बैरल तक भी जा सकती है. इसके पीछे कई फैक्टर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ओपेक प्रोडक्शन कट करने का मन बना रहा है. लीबिया की प्रोडक्शन की समस्या खत्म होने के कगार पर पहुंच चुकी है. वहीं दुनिया की दो सबसे बड़ी इकोनॉमीज की ओर से डिमांड कम है. ऐसे में पेट्रोल और डीजल की कीमत में 3 से 5 रुपए की कटौती संभव है.

 

वहीं दूसरी ओर केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर और कमोडिटी के जानकार अजय केडिया ने टीवी9 भारतवर्ष से बात करते हुए कहा कि कच्चे तेल की कीमतें ज्यादा दिनों तक नहीं रहेंगी. आने वाले दिनों में कुछ ऐसे एब्सुल्यूट फैक्टर है जो कच्चे तेल की कीमतों को सपोर्ट करते हुए दिखाई दे रहे हैं. जिसमें मिडिल ईस्ट की टेंशन, फेड रिजर्व की ओर संभावित रेट कट और ओपेक की ओर प्रोडक्शन कट बढ़ाने की संभावना शामिल है. वहीं दूसरी ओर इक्विटी बाजारों में तेजी, विदेशी निवेशकों का निवेश, म्यूचुअल फंड लगातार इंफ्लो और डॉलर इंडेक्स में गिरावट के बाद भी रुपया 84 रुपए पर बना हुआ है. मतलब साफ है कि सरकार ओर ऑयल कंपनियों की ओर से पेट्रोल और डीजल के रेट कट की संभावना कम ही दिखाई दे रही है.

 

देश के प्रमुख शहरों में पेट्रोल और डीजल के दाम

नई दिल्ली: पेट्रोल रेट: 94.72 रुपए प्रति लीटर, डीजल रेट: 87.62 रुपए प्रति लीटर

कोलकाता: पेट्रोल रेट: 103.94 रुपए प्रति लीटर, डीजल रेट: 90.76 रुपए प्रति लीटर

मुंबई: पेट्रोल रेट: 104.21 रुपए प्रति लीटर, डीजल रेट: 92.15 रुपए प्रति लीटर

चेन्नई: पेट्रोल रेट: 100.75 रुपए प्रति लीटर, डीजल रेट: 92.34 रुपए प्रति लीटर

बेंगलुरु: पेट्रोल रेट: 102.86 रुपए प्रति लीटर, डीजल रेट: 88.94 रुपए प्रति लीटर

चंडीगढ़: पेट्रोल रेट: 94.24 रुपए प्रति लीटर, डीजल रेट: 82.40 रुपए प्रति लीटर

गुरुग्राम: पेट्रोल रेट: 95.19 रुपए प्रति लीटर, डीजल रेट: 88.05 रुपए प्रति लीटर

लखनऊ: पेट्रोल रेट: 94.65 रुपए प्रति लीटर, डीजल रेट: 87.76 रुपए प्रति लीटर

नोएडा: पेट्रोल रेट: 94.83 रुपए प्रति लीटर, डीजल रेट: 87.96 रुपए प्रति लीटर

नहीं बदले पेट्रोल और डीजल के दाम

15 मार्च के बाद के बाद सिर्फ कोलकाता और मुंबई में पेट्रोल और डीजल कीमतों में बदलाव देखने को मिला था, लेकिन दिल्ली और चेन्नई में कोई बदलाव नहीं हुआ. 15 मार्च से देशभर में पेट्रोल और डीजल की कीमत में 2 रुपए की कटौती देखने को मिली थी. उसके बाद कुछ राज्यों ने अपने टैक्स में इजाफा किया और कुछ ने कटौती. जिसकी वजह से मामूली बदलाव जरूर आया है. अगर बात बीते वित्त वर्ष में ऑयल कंपनियों के मुनाफे की बात करें तो रिकॉर्ड बनाया था. तीनों ऑयल कंपनियों को ज्वाइंटली 82,500 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था.

 

वैसे रिसर्च कंपनी का कहना था कि दो रुपए की पेट्रोल की कटौती ऑयल कंपनियों के मुनाफे को 30 हजार करोड़ रुपए कम कर सकती है. खास बात तो ये है कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही का मुनाफा पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले ज्वाइंटली 78 फीसदी कम हो चुका है. पिछले साल की पहली तिमाही का प्रॉफिट 31,583.5 करोड़ रुपए था, जो मौजूदा साल की पहली तिमाही में घटकर 6,919.98 करोड़ रुपए रह गया है. खास बात तो ये है कि एचपीसीएल के मुनाफे में 94 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है.

Advertisements