देश में साइबर फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. छोटी-सी लापरवाही किसी को भी बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है. देशभर में रोजाना ऐसे मामले सामने आते रहते हैं, जिनमें साइबर ठग लोगों के बैंक खातों को मिनटों में साफ कर देते हैं. ऐसा ही एक तरीका डीपफेक वीडियो बनाकर लोगों को ठगना है. ये ठग तकनीकी के माध्यम से किसी प्रसिद्ध व्यक्ति का डीपफेक वीडियो बना लेते हैं और फिर निवेश या फाउंडेशन के नाम पर लाखों की ठगी कर लेते हैं.
ये ठग साइबर अपराधी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, बिजनेस टाइकून मुकेश अंबानी, आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेवन, पत्रकार राजदीप सरदेसाई और इंफोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष सुधा मूर्ति जैसी मशहूर हस्तियों के डीपफेक वीडियो बनाते हैं और उनकी प्रसिद्धि का फायदा उठाकर उन व्यावसायिक सलाह को बढ़ावा दे रहे हैं. जो उन लोगों ने नहीं दी होती हैं और फिर धीरे-धीरे बातचीत के जरिए बात बढ़ते है और फिर निवेश या फाउंडेशन के पर ठगी करके गायब हो जाते है.
मशहूर हस्तियों के नाम पर स्कैम
एक मामले में मुकेश अंबानी के नाम पर चल रहे एक बिजनेस की सलाह पर यकीन करके मुंबई के एक डॉक्टर ने सात लाख रुपये गवा दिए. मामले में पीड़ित ने दस दिनों में 16 बैंक खातों में सात लाख 10 हज़ार रुपये जमा कर दिए. बाद में जब उन्होंने ट्रेडिंग वेबसाइट से मुनाफा निकालने की कोशिश की, तो पता चला कि यह धोखाधड़ी थी.
ऐसे ही इंफोसिस की चेयरपर्सन सुधा मूर्ति का एक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का प्रचार करते हुए एक फर्जी वीडियो वायरल हो गया है. इस पर यकीन करके एक व्यक्ति ने अपने पैसे गवा दिए. एक और मामले में हैदराबाद के एक डॉक्टर ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की डीप फेक वीडियो पर भरोसा करके ऑनलाइन निवेश घोटाले में 20 लाख रुपये गंवा दिए.
हमेशा आध्यात्मिक शिक्षा देने वाले सद्गुरु जग्गी वासुदेवन अब बिजनेस क्लास भी ले रहे हैं. वे उन लोगों को मार्गदर्शन दे रहे हैं जो आसान कमाई करना चाहते हैं. बेंगलुरु की एक महिला को सोशल मीडिया पर सद्गुरु का डीप फेक वीडियो देखकर और उसे असली समझकर साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा की ठगी का शिकार हो गई.
महिला ने गंवाए 3.75 करोड़
मामले में हमेशा आध्यात्मिक शिक्षा देने वाले सद्गुरु जग्गी वासुदेवन का डीपफेक वीडियो वायरल हुआ. वे एक वीडियो बनाते हैं कि उन्होंने एक कंपनी के साथ करार किया है. इसके नीचे एक लिंक दे रहे हैं. उसे क्लिक करने का प्रलोभन देते हैं और निवेश करने की बात करते है. वे कहते है कि इससे आपकी आर्थिक स्थिति सुधर जाएगी.
इसके बाद एक सेवानिवृत्त महिला कर्मचारी ने लिंक को खोला, जिस पर एक अज्ञात व्यक्ति उनसे संपर्क करता है और एक कंपनी का प्रतिनिधि होने का दावा करता है. वह उन्हें एक व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ता है. वे दिमागी खेल खेलते हैं और उन्हें कुछ वेबसाइटों का अनुसरण करने के लिए कहते हैं. और उन्हें व्यापार करने के लिए उकसाता है. इसके बाद महिला उसे प्रभाव में आकर निवेश के लिए उसके दिए गए खाते में 3 करोड़ 75 लाख रुपये जमा कर दिए. इसके बाद ठग पैसे लेकर गायब हो गया.
सिर्फ 34.1 प्रतिशत वसूली दर
जिन लोगों को डीपफेक तकनीक की थोड़ी भी समझ नहीं है, वे साइबर ठगों के लिए आसान लक्ष्य होते हैं. पिछले तीन साल में, हमारे देश में मशहूर हस्तियों के नकली वीडियो से जुड़ी धोखाधड़ी मामले में 550 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. धोखाधड़ी में गये पैसे वापस होना भी बहुत मुश्किल माना जाता है. क्योंकि, पुलिस का कहना है कि इस मामले में वसूली दर केवल 34.1 प्रतिशत है.
इस साल 70,000 करोड़ रुपये का नुकसान
ऐसे ही ठगी के एक मामले में वर्धमान समूह के चेयरमैन के 7 करोड़ रुपये गंवाने के मामले में, 5.25 करोड़ रुपये की ही वसूली हुई. यह सबसे बड़ी वसूली है. 48 घंटों के भीतर शिकायत दर्ज करने पर ही पैसा वापस मिलने की संभावना होती है. ऐसा अनुमान है कि इस साल अब तक देश भर में डीपफेक धोखाधड़ी के कारण 70,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. अनुमान है कि ठगी के मामले में केवल 35 प्रतिशत मामले ही पुलिस तक पहुंच पाते हैं.
AI ने बढ़ा दी मुश्किलें
AI आने के बाद ये ठग और भी और भी एक्टिव हो गए हैं. दोहरी और तिहरी जांच के बाद भी यह जानना मुश्किल हो गया है कि क्या असली है और क्या नकली. एक सर्वे में पाया गया कि 69 प्रतिशत लोग AI की आवाज़ें नहीं पहचान पाते और सेलिब्रिटी के डीपफेक वीडियो पर विश्वास कर अपना लाखों का नुकसान कर लेते हैं.