न इतनी रकम देखी, न कभी कमाई… दिहाड़ी मजदूर को मिला 314 करोड़ का नोटिस, पकड़ लिया अपना माथा

मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में एक बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई है. यहां एक साधारण मजदूर को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से 314 करोड़ रुपए से अधिक का नोटिस थमा दिया गया. यह खबर सामने आने के बाद न केवल जिले में बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी चर्चा का विषय बन गई है. पूरा मामला मुलताई नगर पालिका से जुड़ा है, जहां महाराष्ट्र के आयकर विभाग ने एक व्यक्ति चंद्रशेखर पंडित राव कोहाड़ की संपत्ति संबंधी जानकारी मांगी थी.

नगर पालिका ने जब जांच कर दस्तावेज खंगाले तो पता चला कि संबंधित भूमि किसी और व्यक्ति, मनोहर हरकचंद के नाम दर्ज है. यह स्पष्ट जानकारी नगर पालिका द्वारा आयकर विभाग को भेज दी गई. गांधी वार्ड, मुलताई में किराए के मकान में रहने वाले चंद्रशेखर तब स्तब्ध रह गए, जब उन्हें 314 करोड़ 79 लाख रुपए की टैक्स देनदारी वाला नोटिस प्राप्त हुआ. चंद्रशेखर एक दैनिक मजदूरी करने वाले व्यक्ति हैं, जिनकी आमदनी मुश्किल से 200 से 300 रुपए प्रतिदिन है. इतनी बड़ी राशि का नोटिस पाकर वह पूरी तरह से मानसिक रूप से टूट गए.

प्रशासन को जब इस मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने चंद्रशेखर की तलाश शुरू की. कई दिनों की खोजबीन के बाद जब वह मिले, प्रारंभिक जांच में पता चला कि चंद्रशेखर ने लगभग चार साल पहले नागपुर की एक बैंक में चालू खाता खुलवाया था, जिसकी जांच अब केंद्र में है. आशंका जताई जा रही है कि उसी खाते का दुरुपयोग करके किसी ने भारी मात्रा में वित्तीय लेन-देन किया, जिससे यह टैक्स नोटिस जारी हुआ.

बताया जा रहा है कि उस बैंक खाते से करोड़ों रुपये का लेन-देन हुआ, जो चंद्रशेखर की जानकारी या संलिप्तता के बिना हुआ हो सकता है. वर्तमान में चंद्रशेखर इस पूरे मामले को समझने के लिए कानूनी सलाह ले रहे हैं और आयकर विभाग से संपर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि अपनी स्थिति स्पष्ट कर सकें.

चंद्रशेखर कोहाड़ का कहना है कि इतनी बड़ी रकम का नोटिस मिलना मेरे लिए किसी दुःस्वप्न से कम नहीं है. न कभी इतनी रकम देखी, न कमाई. अब मानसिक तनाव के कारण मेरा स्वास्थ्य भी गिर गया है और मेरी पत्नी भी बीमार हो गई है. मैं बस चाहता हूं कि सच्चाई सामने आए और मुझे न्याय मिले.

प्रभारी सीएमओ, मुलताई जीआर देशमुख ने बताया कि हमसे जब जानकारी मांगी गई थी तो हमने जांच कर बताया कि संबंधित संपत्ति चंद्रशेखर के नाम पर नहीं है. हमने यह रिपोर्ट औपचारिक रूप से आयकर विभाग को भेज दी है. यह मामला न केवल प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि डिजिटल बैंकिंग और वित्तीय धोखाधड़ी के दौर में साधारण नागरिक किस तरह फंस सकते हैं.

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