पंजाब बीजेपी के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने पिछले 28 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से अपील की है कि वे इस अनशन को खत्म करें. जाखड़ ने आंदोलन में शामिल किसान नेताओं और राजनेताओं को आंदोलन को व्यक्तिगत लाभ के लिए इस्तेमाल करने के लिए आलोचना की और चेतावनी दी कि इस तरह के प्रदर्शन गंभीर समस्या पैदा कर सकते हैं.
सुनील जाखड़ ने पंचकुला में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, ‘पिछले 10 दिनों में कई नेताओं ने डल्लेवाल से खनौरी बॉर्डर पर मुलाकात की और तस्वीरें खिंचवाईं, लेकिन कोई भी उन्हें भूख हड़ताल खत्म करने के लिए नहीं कह रहा. किसी को उनकी जान की फिक्र नहीं है.’ जाखड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी सेहत को लेकर चिंता जताई है. जाखड़ ने डल्लेवाल से भूख हड़ताल खत्म करने को कहा है और अन्य नेताओं से भी उन्हें मनाने की अपील की है. जाखड़ ने कहा कि एक किसान समूह ने तीन कृषि कानूनों को रद्द करवा लिया और अब दूसरा समूह न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी चाहता है.
जाखड़ ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि किसान अपनी शिकायतों को सीधे कोर्ट में रख सकते हैं. बीजेपी नेता ने संसद की स्थायी समिति की हाल ही में आई रिपोर्ट का भी हवाला दिया, जिसमें फसलों के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की मांग की गई थी.
डल्लेवाल से की है ये अपील
बीजेपी नेता ने कहा, ‘मैं डल्लेवाल से अपील करता हूं कि उनकी जिंदगी कीमती है और उन्हें अपनी भूख हड़ताल खत्म करनी चाहिए. राजनीतिकरण करने के बजाय, भूख हड़ताल खत्म करने पर ध्यान केंद्रित करें. मैंने सुना है कि SKM मंगलवार को उनके लिए मोमबत्ती मार्च आयोजित करने की योजना बना रहा है. अगर वह जीवित हैं तो उनके लिए मोमबत्ती मार्च क्यों? क्या नेता केवल राजनीतिक फायदे के लिए खनौरी जा रहे हैं?’
किसान यूनियनों का भी किया जिक्र
इस दौरान जाखड़ ने किसान यूनियनों में विभाजन का भी जिक्र किया, जिसमें शंभू और खनौरी बॉर्डरों के नेताओं के बीच हालिया बैठकों में मतभेदों को उजागर किया गया था. उन्होंने नेताओं जैसे बलबीर सिंह राजेवाल, जोगिंदर सिंह उग्रहान और सरवन सिंह पांडे से अपील की कि वे अपने वैचारिक मतभेदों को भुलाकर डल्लेवाल से उनकी भूख हड़ताल खत्म करने की अपील करें.
जाखड़ ने चेतावनी दी कि अगर भूख हड़ताल जारी रही तो इसका परिणाम गंभीर हो सकता है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही यह बात कही है कि पंजाब में अस्थिर करने वाली ताकतें पनप रही हैं. हम हाल के दिनों में ग्रेनेड हमलों में वृद्धि देख चुके हैं. ये घटनाएं शायद पंजाब में अशांति फैलाने के लिए ISI के प्रयासों से जुड़ी हो सकती हैं.
सीएम भगवंत मान से की ये अपील
उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान की स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा, ‘राज्य एक आपातकालीन स्थिति का सामना कर रहा है, फिर भी मुख्यमंत्री ऑस्ट्रेलिया यात्रा की योजना बना रहे हैं? उनकी प्राथमिकता किसान मुद्दों को सुलझाना होना चाहिए.लेकिन वो इसपर ध्यान नहीं दे रहे हैं.’
MSP गारंटी पर क्या बोले
एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी पर जाखड़ ने संदेह जताते हुए कहा कि यह पंजाब के किसानों को फायदा नहीं पहुंचाएगा. उन्होंने कहा, ‘अगर पंजाब के मुख्यमंत्री 24 फसलों के लिए MSP देना चाहते हैं तो उन्हें हरियाणा के मॉडल को देखना चाहिए, जहां मुख्यमंत्री ने विभिन्न फसलों के लिए MSP की घोषणा की है.’
वहीं, जाखड़ की इस टिप्पणी पर SKM के समन्वयक सरवन सिंह पांडे ने बीजेपी पर इस भूख हड़ताल का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया. उन्होंने सुझाव दिया कि पंजाब बीजेपी नेतृत्व को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से किसानों की चिंताओं को जाहिर करना चाहिए. कांग्रेस नेता सुखजिंदर रंधावा ने भी राज्य और केंद्रीय सरकारों की आलोचना की, जो किसानों को दिल्ली जाने की अनुमति नहीं दे रही हैं.
‘किसान एकजुट नहीं’
बीजेपी नेता फतेह जंग बाजवा ने पलटवार करते हुए कहा कि किसान एकजुट नहीं हैं, यह बताते हुए कि 40 में से 38 यूनियनें मौजूदा प्रदर्शनों का हिस्सा नहीं हैं. उन्होंने आगे कहा कि आम आदमी पार्टी (AAP) इस मौके का फायदा उठा रही है और दिल्ली चुनावों में बीजेपी पर नए प्रदर्शनों का आरोप लगा रही है.