दमोह : दरअसल,गांव के हरिजन मोहल्ले का ट्रांसफार्मर करीब एक साल पहले बिजली कंपनी के कर्मचारी उठा ले गए थे.उस समय ग्रामीणों को भरोसा दिलाया गया था कि जल्द ही नया ट्रांसफार्मर लगाया जाएगा.लेकिन आज तक न तो नया ट्रांसफार्मर लगाया गया और न ही बिजली बहाल हुई.
स्थिति यह है कि गांव के अन्य कई ट्रांसफार्मर भी लंबे समय से खराब पड़े हैं.नतीजतन, आधे से ज्यादा गांव पूरी तरह अंधेरे में डूबा हुआ है.इस कारण ग्रामीणों को रोजमर्रा की जिंदगी में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
रात होते ही गांव में अंधेरा छा जाता है। बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं.किसानों को अपने खेतों में सिंचाई करने में दिक्कत आ रही है.घरों में पंखे और अन्य उपकरण भी काम नहीं कर पा रहे। सबसे बड़ी समस्या यह है कि बीमार लोगों को भी गर्मी और अंधेरे में परेशान होना पड़ रहा है.
मंगलवार को ग्रामीण एकजुट हुए और बिजली कंपनी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.इस दौरान उन्होंने जमकर नारेबाजी की और कंपनी पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया.ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार अधिकारियों से लेकर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों तक अपनी समस्या रखी, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिले.
गांव के लोगों का कहना है कि एक साल पहले जब ट्रांसफार्मर कंपनी के कर्मचारी उठाकर ले गए थे, तभी से वे उम्मीद लगाए बैठे हैं कि जल्द ही बिजली बहाल होगी.लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
अब ग्रामीणों का सब्र टूट रहा है.उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही ट्रांसफार्मर नहीं बदला गया, तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे.चक्काजाम करेंगे और जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी.
वहीं इस मामले में बिजली कंपनी सब स्टेशन हिनौता के जेई प्रदीप पटेल का कहना है कि गांव में बिजली बिल का काफी बकाया है.यही कारण है कि नया ट्रांसफार्मर नहीं लगाया जा रहा.उन्होंने कहा कि यदि गांव के लोग बकाया बिजली बिल का कम से कम 50 प्रतिशत भी जमा कर देते हैं, तो ट्रांसफार्मर जल्द लगाया जा सकता है.
यानी कंपनी का साफ कहना है कि जब तक बकाया राशि जमा नहीं होती, तब तक बिजली बहाल नहीं होगी.दूसरी ओर ग्रामीणों का कहना है कि बिना बिजली के वे किस तरह से बिल भरेंगे? उनका तर्क है कि कंपनी की लापरवाही के चलते पूरा गांव अंधेरे में है, ऐसे में उनसे बकाया वसूली करना उचित नहीं है.
कुल मिलाकर दमोह के बंधा गांव के लोग पिछले एक साल से बिजली जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं.अगर समस्या का समाधान जल्द नहीं हुआ, तो यह मामला बड़ा आंदोलन का रूप ले सकता है.