गुना जिले के चांचौड़ा क्षेत्र में प्रशासन और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई ने मानव तस्करी के एक और भयावह चेहरे को उजागर किया है। सोमवार को ‘घर वापसी अभियान’ के तहत 46 मानसिक रोगियों को दबंगों के चंगुल से मुक्त कराया गया।
इन लोगों को बंधक बनाकर खेतों, ढाबों और ईंट भट्टों पर अमानवीय परिस्थितियों में काम कराया जा रहा था। इससे पहले 16 अन्य मानसिक रोगियों को मुक्त कराया गया था और 12 दबंगों पर मानव तस्करी के तहत केस दर्ज किया गया था। डर से कुछ दबंगों ने रोगियों को बीनागंज चौकी के पास सड़क पर छोड़ दिया। मुक्त कराए गए लोगों को स्वास्थ्य परीक्षण के बाद शिवपुरी के ‘अपना घर आश्रम’ भेजा गया।
घर वापसी अभियान की शुरुआत
कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल और पुलिस अधीक्षक अंकित सोनी के निर्देशन में चांचौड़ा क्षेत्र में शिविर लगाकर असहाय और मानसिक रोगियों को मुक्त कराने का अभियान चलाया गया। प्रशासन ने आमजन से अपील की थी कि ऐसे लोगों को चिन्हित कर शिविर तक पहुंचाएं।
सुबह से शाम तक चले इस शिविर में 46 लोगों को मुक्त कराया गया। इनमें से कई को नेपाल, गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से लाकर बंधक बनाया गया था। प्रशासन इनका रिकॉर्ड तैयार कर रहा है।
अमानवीय सलूक और शोषण
चांचौड़ा-कुंभराज क्षेत्र के मानक चोक, रतोधन, पटोंदी, काला पहाड़, माडाखेड़ा और आटाखेड़ी जैसे गांवों में मानसिक रोगियों को बंधक बनाकर खेतों में गोबर फेंकने, पत्थर उठाने और ढाबों पर काम कराया जा रहा था। बदले में उन्हें सिर्फ रोटी दी जाती थी। कुछ पढ़े-लिखे और अच्छे परिवारों से थे, जिन्हें बहला-फुसलाकर लाया गया था। पुलिस ने अब तक 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, और कार्रवाई जारी है।
प्रमोद भार्गव का संघर्ष
सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद भार्गव की तीन साल की मेहनत इस अभियान की सफलता का आधार बनी। डेढ़ साल पहले उनकी निशानदेही पर 62 रोगियों को मुक्त कराया गया था, लेकिन तब दबंगों पर सख्ती नहीं हुई। इस बार मानव तस्करी की धाराओं में केस दर्ज होने से दबंगों में खौफ है। प्रमोद लगातार रोगियों को उनके परिवारों से मिलवाने मेंजुटे है