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अंधी पैदा हुई बेटी तो माता- पिता ने कचरें में फेंका, 25 साल बाद उसी ने रचा इतिहास

मुंबई: ख्वाबों को हकीकत करने के लिए सिर्फ हौसला, हिम्मत, मेहनत और जुनुन चाहिए होता है. इस बात को सच कर रही है महाराष्ट्र की माला की कहानी. माला को दिखाई नहीं देता और बचपन में ही माता-पिता ने माला को कूड़ेदान में फेंक दिया था, जिसके बाद अब इतिहास रच कर माला सबको जवाब दे रही है. अपने सपनों को हकीकत करने के उनके हौसले और जुनून ने माला को इतनी मजबूती दी कि माला ने महा एग्जाम MPSC महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन क्रैक किया.

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माला को पैदाइश के समय से दिखाई नहीं देता है, आज माला की उम्र 25 साल है, लेकिन पच्चीस साल पहले, महाराष्ट्र के जलगांव रेलवे स्टेशन पर एक कूड़ेदान में बच्ची को फेंका हुआ पाया गया था. जिसके बाद पुलिस ने बच्ची के माता-पिता का पता लगाने की कोशिश की लेकिन उनका पता नहीं लगाया जा सका. जिसके बाद नवजात बच्ची को पुलिस जलगांव के एक रिमांड होम में ले गई. जिसके बाद वहां से बच्ची को 270 किमी दूर अमरावती के परतवाड़ा में बहरे और अंधे लोगों के लिए एक बेहतर एनजीओ उसको शिफ्ट कर दिया गया.

MPSC एग्जाम किया क्रैक

यहां नवजात बच्ची का नाम माला पापलकर रखा गया. दिखाई न देने के बावजूद और एनजीओ में पली बढ़ी माला ने अपनी मेहनत से इतिहास रच दिया और कामयाबी की ऊंचीइयों को छुआ. गुरुवार को MPSC के नतीजे सामने आए, जिसमें माला ने महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (एमपीएससी) परीक्षा में सफलता हासिल की और मुंबई में महाराष्ट्र सचिवालय – मंत्रालय में एक क्लर्क-सह-टाइपिस्ट के रूप में काम करने वाली है.

माला के गुरु और पद्म पुरस्कार से सम्मानित शंकरबाबा पापलकर ने न सिर्फ माला को अपना सरनेम दिया बल्कि माला के हुनर को सराहा साथ ही उसे ब्रेल (जिन बच्चों को दिखाई नहीं देते उनको पढ़ाने का एक स्कूल) में पढ़ाया.

IAS की तैयारी शुरू

माला ने अपनी कामयाबी पर कहा कि, ऊपर वाले ने मुझे बचाने के लिए फरिशते भेजे, आज मैं जहां हूं इन सब लोगों की वजह से ही हूं. साथ ही माला ने कहा कि यह मेरी कामयाबी की महज शुरुआत है मैं अभी यहां नहीं रुकूंगी बल्कि UPSC की तैयारी करुंगी और एक IAS ऑफिसर बनूंगी.

माला के गुरु शंकरबाबा ने बताया कि माला ने ब्रेल स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की और 12 क्लास में फर्स्ट डिविजन हासिल की. जिसके बाद साल 2018 में माला ने अमरावती यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की. गवर्नमेंट विदर्भ इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से आर्ट्स में पोस्ट ग्रेजुएशन की. माला ने ब्रेल की मदद से पढ़ाई की और हर एग्जाम में एक राइटर की मदद से एग्जाम लिखा. शंकरबाबा ने बताया कि बाद में माला की बेहतर पढ़ाई के लिए दरियापुर के प्रोफेसर प्रकाश टोपले पाटिल ने उन्हें गोद ले लिया.

दो बार एग्जाम पास नहीं हुआ

माला को यूनिक एकेडमी के डायरेक्टर प्रोफेसर अमोल पाटिल ने एमपीएससी परीक्षाओं के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी ली. माला ने अगस्त 2022 और दिसंबर 2023 में तहसीलदार पद के लिए परीक्षा दी लेकिन वो एग्जाम पास नहीं कर पाई. बाद में, उन्होंने एमपीएससी क्लर्क (टाइपराइटिंग) का एग्जाम दिया. इस एग्जाम में उन्हें कामयाबी हासिल हुई और वो पूरे देश के लिए मिसाल बन गई.

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