राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन (National Conference of District Judiciary) को संबोधित किया. राष्ट्रपति ने कहा कि महाभारत में उच्चतम न्यायालय के ध्येय वाक्य, ‘यतो धर्मः ततो जयः’, का उल्लेख कई बार हुआ है, जिसका भावार्थ है कि ‘जहां धर्म है, वहां विजय है’.
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, ‘न्याय और अन्याय का निर्णय करने वाला धर्म शास्त्र है. मुझे खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका में लोगों का विश्वास सुनिश्चित करने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया है. न्याय की तरफ आस्था और श्रद्धा का भाव हमारी परंपरा का हिस्सा रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘इस देश में हर न्यायाधीश और न्यायिक अधिकारी पर सत्य और धर्म, न्याय की प्रतिष्ठा करने का नैतिक दायित्व है. यह दायित्व न्यायपालिका का दीर्घ स्तंभ है. हमारे पास लंबित मामले हैं, जिन्हें इन सम्मेलनों, लोक अदालतों आदि के माध्यम से निपटाया जा सकता है.’
‘Culture of Adjournment’ से गरीब लोगों को जो कष्ट होता है उसकी कल्पना भी बहुत से लोग नहीं कर सकते। इस स्थिति को बदलने के हर संभव उपाय किए जाने चाहिए। pic.twitter.com/U8ZKClnTcl
— President of India (@rashtrapatibhvn) September 1, 2024
राष्ट्रपति ने कहा, ‘लंबित मामले और बैकलॉग न्यायपालिका के लिए एक बड़ी चुनौती है, इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए और समाधान ढूंढ़ा जाना चाहिए. इस पर चर्चा की गई है और मुझे यकीन है कि इसका परिणाम सामने आएगा.’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘रेप के मामलों में इतने वक्त में फैसला आता है. देरी के कारण लोगों को लगता है कि संवेदना कम है. भगवान के आगे देर है अंधेर नहीं. देर कितने दिन तक, 12 साल, 20 साल? न्याय मिलने तक जिंदगी खत्म हो जाएगी, मुस्कुराहट खत्म हो जाएगी. इस बारे में गहराई से सोचना चाहिए.’