इंदौर। कामयाबी ने उसी वक़्त अपना पता बता दिया था, जब डॉक्टर नूरेन शेख ने माइक संभाला। उन्होंने दीन और दुनिया की तालीम को लेकर वह बातें कहीं जो यह साबित कर रही थी, कि मुस्लिम लड़कियां सिर्फ दुनियावीं नॉलेज में ही नहीं दीनी नॉलेज में भी किसी से कम नहीं हैं, बस उन्हें मौका देने की जरूरत है!
डॉक्टर नूरेन ने वह बातें कहीं जो सिर्फ सुनी ही नहीं, साथ रखी जा सकती हैं, उनके बाद बोलने वालों में बहुत सी लड़कियां थी और सभी ने अच्छा बोला इतना अच्छा की लड़कों को कोसों दूर छोड़ दिया, यहां पर मैं लड़कों की खास तौर से बात कर रहा हूं कि उन्हें अपना जायजा लेने की जरूरत है, आने वाला वक़्त हमारी लड़कियों का है, लड़के तो अब उन्हें स्कूल कॉलेज छोड़ने ले जाने के ही काम के रह गए हैं, शायद इसीलिए हिदायतुल्ला खान ने कहा था।
कि कहीं अब ऐसा ना हो की कन्या भ्रूण हत्या की जगह बालक भ्रूण हत्या होने लगे यह बात उन्होंने मजहिया लहजे में कही थी, लेकिन बड़ी गंभीर थी। बहरहाल डॉक्टर नूरेन के बाद तीन छात्रों का जिक्र करना जरूरी है, उनमें से एक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शेख अलीम की बेटी भी है, (मैं बेटी का नाम भूल गया हूं इसलिए नेताजी के नाम का जिक्र करना पड़ रहा है इसे कोई अन्यथा ना ले) उनकी बेटी विदेश से कानून पढ़कर आई हैं, और बहुत अच्छा बोलती है, एक और छात्रा थी जो ग्लास्गो यूनिवर्सिटी स्कॉटलैंड से साइकोलॉजी और लिंग्विस्टिक की पढ़ाई कर लौटी हैं,ने कमाल का बोला बहुत गंभीर बातें थी, अगर उनका भाषण विद्वानों के सेमिनार में होता तो भी असर रखता यहां तो उन्होंने कॉलेज की छात्राओं के बीच बोल कर लोहा मनवा लिया, इसके बाद इंशा कुरैशी का होना लाजमी है, सर से लेकर पांव तक पर्दे में ढकी इस लड़की ने अंग्रेजी में जो फर्राटे दर भाषण दिया है।
उसकी मिसाल नहीं सबसे बड़ी बात इंशा के भाषण में फिक्र थी और वह फिक्र मुस्लिम नौजवानों की और पढ़ाई की थी इन सब के बीच हिदायतुल्ला खान का संचालन था और कुछ वक़्त रफीक मुल्तानी ने भी लिया। आखरी में देवास से आई आईपीएस साहिबा को उरूज अवार्ड दिया गया उन्होंने हाल ही में यूपीएससी की परीक्षा में कामयाबी हासिल की है और एसपी बनी हैं।
यहां डॉक्टर फ़ायजा मुल्तानी का ज़िक्र करना जरूरी है, जिन्होंने हाल ही में एमबीबीएस किया है,वे ये कहते हुए भावुक हो गई कि किस तरह उनके पापा ने उन्हें पढाई है सामने खड़े फ़ायज़ा के पापा रफीक मुल्तानी भी उस वक़्त अपने जज़्बात नहीं रोक पा रहे थे, यमाना भी एमबीबीएस कर रही हैं उनके तास्सुरात भी अपने वालिद डॉक्टर खालिद के लिए कुछ इस तरह ही थे। बता दू कि यहां 35 ऐसी छात्राएं मौजूद थी जिन्होंने एमबीबीएस किया है या कर रही हैं।
एक छात्रा फिलीपींस से पढ़ कर आईं हैं उन्होंने भी भाषण दिया जिसमें दीन की बहुत सी अधकचरी बातें थी, जो सुनने वालों को हजम नहीं हो सकती थी, बता रहीं थीं कि उनकी मम्मी भी किसी बैंक में मैनेज़र हैं, उन्हें सलाह की दुनिया के साथ अब दीन की जानकारी भी लेने लग जाएं कि इस प्रोग्राम का मक़सद दुनिया के साथ दीन की फिक्र भी है कि जिसके बिना कामयाबी अधूरी है।
बहरहाल तय हुआ था, कि प्रोग्राम ढाई बजे शुरू होगा और छह बजे खत्म हो जाएगा, लेकिन रात की आठ कब बज गई,पता ही नहीं चला। लड़कियां एक के बाद एक शानदार भाषण दे रही थी और लोग दिल थाम सुन रहे थे, यहां एक बात और कहना पड़ेगी की छह घंटे चला प्रोग्राम बिना किसी हो हल्ले बिना किसी आवाजाही के चलते रहा, सोचिए अगर यह प्रोग्राम लड़कों का होता तब क्या होता!
हो हल्ला होता मस्ती होती और नाश्ता पानी के बाद रवानगी होती। लड़कों को इनसे सबक लेना चाहिए कि वह लड़कियों की तरह गंभीर बने पढ़ाई करें और जिस तरह इन लड़कियों ने कामयाबी के झंडे गाड़े हैं इस तरह वह भी परचम लहराएं वरना यह तय है कि आने वाला वक़्त लड़कियों का होगा लड़के सिर्फ उनकी सेवा – चाकरी के ही लायक रहेंगे बहरहाल सयाजी के अंबार हाल में हुआ निनाद का यह अवार्ड प्रोग्राम अपनी तरह का अनूठा प्रोग्राम था जिसमें लड़कियों को सुननानहीं बल्कि अपनी सुनाने को कहा गया था, अलबत्ता सुनने वाले भी थे।
मशहूर हार्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर मोहम्मद अली, इस्लामिक स्कॉलर अब्दुल हमीद मदनी, भोपाल के नायब काज़ी अली कबीर भाई, इंडियन टेनिस टीम के कोच साजिद लोधी और मशहूर कार्टूनिस्ट इस्माइल लहरी भी थे, जिन्होंने छात्राओं से बातें की। कुल जमा बातचीत का इतना लंबा प्रोग्राम अपने आप में रिकॉर्ड था, कि शायद ही कोई प्रोग्राम 5-6 घंटे चला हो जिसमें बातें हो और लोग बोर ना हुए हो इस लिहाज से भी उरूज अवार्ड सेरेमनी कामयाब रही।