इंदौर के पलासिया इलाके में वॉट्सऐप के जरिए नकली नोट बेचने का सौदा कर रहे दो युवकों को पुलिस ने सादी वर्दी में पकड़ लिया। आरोपियों के पास से करीब 40 लाख रुपए के नकली नोट बरामद हुए हैं, जिन्हें उन्होंने असली नोटों की गड्डियों में ऊपर-नीचे छिपा रखा था। पुलिस को शक है कि यह एक बड़े गिरोह से जुड़ा मामला हो सकता है।
डीसीपी हंसराज सिंह जैन की टीम को सूचना मिली थी कि कुछ युवक वॉट्सऐप के माध्यम से नकली नोटों का सौदा कर रहे हैं। इस पर एक विशेष टीम बनाई गई और पुलिस ने खुद को ग्राहक बनाकर वॉट्सऐप पर ही इनसे संपर्क किया। बातचीत के बाद सौदा तय हुआ और दोनों युवकों को पलासिया इलाके में बुलाया गया।
सौदे के मुताबिक, महाराष्ट्र के जलगांव निवासी प्रथमेश येवलेकर और बड़वाह के दीपक कौशल तय समय पर इलाके में पहुंचे। वे एक बैग में नकली नोट लेकर आए थे। पुलिस पहले से ही सादी वर्दी में मौके पर मौजूद थी। जैसे ही दोनों युवक पहुंचे, टीम ने उन्हें दबोच लिया।
तलाशी में उनके बैग से करीब 20 गड्डियों में छिपे नकली नोट मिले। आरोपी असली नोटों को ऊपर और नीचे रखकर नकली नोटों को बीच में छिपाकर लाए थे, ताकि पहली नजर में नोट असली लगें। पुलिस को नकली के साथ कुछ असली नोट भी मिले हैं।
पुलिस का कहना है कि नकली नोट इतने साफ प्रिंट में थे कि आम आदमी के लिए पहचानना मुश्किल होता। अब यह जांच की जा रही है कि आरोपी ये नकली नोट किससे लेकर आए और इनके पीछे कौन लोग हैं। फिलहाल दोनों युवकों से पूछताछ की जा रही है और पुलिस यह मान रही है कि इस रैकेट में कई अन्य लोग भी शामिल हो सकते हैं।
क्राइम ब्रांच और साइबर सेल को भी इस मामले में जोड़ा गया है। अफसरों ने संकेत दिए हैं कि जल्द ही पूरे नेटवर्क का खुलासा किया जा सकता है।
1 लाख के बदले 4 लाख देने की हुई थी बात पुलिस के मुताबिक सोशल मीडिया पर जब दोनों से चैटिंग की गई तो उन्होंने 1 लाख के असली नोट के बदले 4 लाख देने की बात कही थी। जिसमें पुलिसकर्मियों ने सौदा पक्का कर लिया। शुरुआत में 4 लाख रुपए लेकर बुलाया। दोनों आरोपियों के पकड़ाने के बाद पुलिस उनके बताए ठिकाने पर पहुंची। यहां से पुलिस ने कुल 40 लाख के नकली नोट बरामद किए हैं।
चिल्ड्रन बैक के है नोट एडीशनल डीसीपी रामस्नेही मिश्रा ने बताया कि प्रथमेश और दीपक से जो नोट मिले है। वह बच्चो के खेलने के काम आते है। सब चिल्ड्रन बैक के नोट है। उसके उपर और नीचे व बीच में आरोपी असली नोट लगा देते थे। इसके बाद वह नोट सौपते समय एक गड्डी जो चिन्हीत की हुई रहती थी। उसे दिखा देते थे। इसके बाद क्राइम ब्रांच या पुलिस का डर दिखाकर नोट लेने वाले को तुरंत नोट वहां से लेकर रवाना कर देते थे। नोट लेने वाले को बाद में पता चलता था कि उनके साथ ठगी हुई है।
फेसबुक,वाट्सएप पर विज्ञापन पुलिस अफसरो के मुताबिक आरोपियों ने फेसबुक और वाट्सएप पर इसका विज्ञापन करते थे। जिसमें फोन लगाने पर वह अपने ठिकाने बदल बदल कर नोट लेने वाले को मिलने बुलाते। बाद में भरोसा होने पर डिलेवरी करते थे। प्रथमेश इस तरह के काम कर चुका है। दीपक को उसी ने तैयार किया था। अभी पुलिस आरोपियों से ओर वारदातो को लेकर पूछताछ कर रही है।