उत्तराखंड में चारधाम यात्रा अपने शबाब पर है. पिछले महीने एक महीने से शुरू हुई इस चारधाम यात्रा में अब तक लाखों श्रद्धालुओं ने बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री आदि तीर्थस्थलों पर जाकर दर्शन पूजन किए हैं. अक्सर कथा कहानियों में सुनने को मिलता है कि जो बड़े भाग्यशाली होते हैं, वहीं चारधाम यात्रा के बाद जिंदा अपने घर लौटते हैं. यही वजह है कि सनातन धर्म में आम तौर पर सभी जिम्मेदारियों के निर्वहन के बाद चारधाम यात्रा की परंपरा रही है. अब बड़ा सवाल यह है कि चारधाम यात्रा के दौरान किसी की मौत हो जाए तो उसका शव परिवार तक पहुंचता है कि नहीं, यदि पहुंचता है तो कैसे और इसमें आने वाला खर्च कौन वहन करता है?
उत्तराखंड सरकार भी देती है मुआवजा
चारधाम यात्रा के लिए उत्तराखंड सरकार ने भी मुआवजा नीति बनाई है. इस नीति के तहत यात्रा के दौरान यदि किसी तीर्थयात्री की मृत्यु होती है तो सरकार उसके परिजनों के नाम कुछ मुआवजा राशि जारी करती है. हालांकि इसके लिए कुछ नियम बनाए गए हैं. इसमें तुरंत प्रशासन को सूचित करना होता है. इसके बाद प्रशासन शव का पोस्टमार्टम कराता है और सरकार को रिपोर्ट भेजी जाती है. इसके बाद मुआवजा राशि तय की जाती है. पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों तक भिजवाने की व्यवस्था भी स्थानीय प्रशासन करता है. पड़ोसी राज्यों में तो सड़क मार्ग से शव को भेजा जाता है, लेकिन सुदूर के राज्यों में हवाई मार्ग से शव भेजने की व्यवस्था है. हालांकि कई बार सूचना मिलने पर परिजन खुद मौके पर पहुंच जाते हैं और वहीं पर अंतिम संस्कार करते हैं. इसके लिए भी जरूरी इंतजाम लोकल प्रशासन करता है.