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EY Pune Employee: अकाउंटिंग कंपनी में काम करने वाली कर्मचारी की मौत, मां ने कहा- वर्क लोड ज्यादा था

महाराष्ट्र (Maharashtra) के पुणे में Ernst & Young कंपनी में काम करने वाली एक 26 साल की कर्मचारी की मौत हो गई. पीड़िता की मां ने अकाउंटिंग फर्म को लिखे पत्र में कहा कि उसकी मौत ‘ज्यादा वर्कलोड’ की वजह से हुई है. केरल की चार्टर्ड अकाउंटेंट अन्ना सेबेस्टियन पेरायिल ने मार्च में Ernst & Young ज्वाइन किया था. अनीता ऑगस्टाइन (Anita Augustine) ने E&Y के चेयरमैन राजीव मेमानी के नाम लिखे पत्र में इस बात पर दुख जताया कि कंपनी से जुड़ा कोई भी शख्स उनकी बेटी के अंतिम संस्कार में नहीं शामिल हुआ.

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EY अन्ना सेबेस्टियन की पहली नौकरी थी और वह कंपनी में शामिल होने के लिए काफी उत्साहित थी. अपनी बेटी को “योद्धा” बताते हुए, ऑगस्टीन ने कहा, “उसने स्कूल के साथ-साथ कॉलेज में भी अपनी सभी परीक्षाओं में टॉप किया और EY में बिना थके काम किया. उसने कंपनी की मांगों को पूरा करने के लिए हर कोशिश की.”

‘मानसिक तौर पर पड़ा बुरा असर’

ऑगस्टीन ने कहा, “वर्कलोड, नया वातावरण और लंबे वक्त तक काम करने से उस पर शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक रूप से बहुत बुरा असर पड़ा.” उन्होंने आगे बताया कि अन्ना को जल्दी ही चिंता, रातों में अनिंद्रा और तनाव का सामना करना पड़ा. ऑगस्टीन ने पत्र में कहा, “मेरी बेटी खुद को आगे बढ़ाती रही और मानती रही कि कड़ी मेहनत ही सफलता की चाबी है.” हालांकि, पुणे में दीक्षांत समारोह के वक्त उसकी तबीयत बिगड़ने लगी.

‘हम उसे हॉस्पिटल लेकर गए…’

अन्ना सेबेस्टियन की मां ऑगस्टीन ने कहा, “शनिवार, 6 जुलाई को मैं और मेरे पति अन्ना के सीए दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने के लिए पुणे पहुंचे. वह पिछले एक हफ्ते से देर रात (लगभग 1 बजे) अपने पीजी पहुंचने पर सीने में जकड़न की शिकायत कर रही थी, इसलिए हम उसे पुणे के अस्पताल ले गए. उसका ECG नॉर्मल था. कार्डियोलॉजिस्ट हमारी डर को दूर करने के लिए आए, उन्होंने हमें बताया कि उसे पर्याप्त नींद नहीं मिल रही थी और वह बहुत देर से खाना खा रही थी.”

पीड़िता की मां ने बताया, “डॉक्टर ने पेट में बनने वाले एसिड को खत्म करने के लिए दवाएं दीं, जिससे हमें यकीन हुआ कि यह कोई गंभीर बात नहीं है. हम कोच्चि से आए थे, लेकिन उसने डॉक्टर को दिखाने के बाद पहले की तरह काम करना शुरू कर दिया. उसका कहना था कि बहुत काम करना है और छुट्टी नहीं मिलेगी.”

उन्होंने आगे बताया कि उस रात फिर से उसे पीजी वापस आने में देर हुई. रविवार, 7 जुलाई को उसे दीक्षांत समारोह में जाना था. वह सुबह हमारे साथ आई, लेकिन उस दिन भी वह दोपहर तक घर से ही काम कर रही थी और हम दीक्षांत समारोह पर देर से पहुंची. अन्ना का ‘बड़ा सपना’ था कि वह अपने माता-पिता को अपनी ‘मेहनत की कमाई’ से दीक्षांत समारोह में ले जाए. उसने अपने पैरेंट्स लिए फ्लाइट टिकट भी बुक किया था लेकिन ‘वर्क लोड’ की वजह से इस पल का पूरी तरह आनंद नहीं उठा पाई.

 

‘मैनेजर से मिली थी चेतावनी’

ऑगस्टीन ने बताया, “जब अन्ना इस टीम में शामिल हुईं, तो उसे बताया गया कि बहुत से कर्मचारियों ने वर्क लोड की वजह से इस्तीफा दे दिया है और टीम मैनेजर ने कहा- ‘अन्ना, तुम ऐसा नहीं करना और हमारी टीम के बारे में सभी की राय बदलनी चाहिए.’ मेरी बेटी को यह एहसास नहीं था कि उसे अपनी जान देकर इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी.”

दरअसल, अन्ना को अपने मैनेजर के बारे में सहकर्मियों से कई चेतावनियां मिली थीं: “उनका मैनेजर अक्सर क्रिकेट मैचों के दौरान मीटिंग्स को रीशेड्यूल कर देता था और दिन के आखिरी में उन्हें काम सौंपता था, जिससे अन्ना का तनाव बढ़ जाता था.”

अन्ना ने अपने माता-पिता को बताया था, “काम का बोझ बहुत ज्यादा है, खास तौर पर आधिकारिक काम के अलावा मौखिक रूप से दिए जाने वाले एक्स्ट्रा वर्क.” उसकी मां ने आगे बताया कि अन्ना अक्सर ‘पूरी तरह थकी हुई’ होकर घर लौटती थीं, कभी-कभी तो बिना कपड़े बदले ही बिस्तर पर गिर जाती थी.’ उन्होंने पत्र में आगे लिखा, “काश मैं उसे बचा पाती, उसे बता पाती कि उसका हेल्थ और अच्छी जिंदगी किसी भी अन्य चीज से ज्यादा अहम है, लेकिन मेरी अन्ना के लिए अब बहुत देर हो चुकी है.”

ऑगस्टाइन ने कहा कि मेरी बेटी की मौत ‘E&Y के लिए एक चेतावनी है’ और उन्होंने चेयरमैन के लिए एक सख्स मैसेज भी लिखा: “मुझे उम्मीद है कि यह पत्र आप तक उतनी ही गंभीरता के साथ पहुंचेगा, जितनी गंभीरता के साथ इसे पहुंचना चाहिए.”

अपने पत्र की मदद से अनीता ऑगस्टाइन ने जागरूकता फैलाने की भी कोशिक की और कहा, “मुझे उम्मीद है कि मेरी बेटी के अनुभव से बदलाव आएगा, जिससे किसी अन्य परिवार को वह दुख न सहना पड़े जिससे हम गुजर रहे हैं.”

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