जमानत आवेदनों पर एक सप्ताह के भीतर करें फैसला: हाई कोर्ट

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के एडिशनल रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल ने छत्तीसगढ़ के जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों में लंबित मामलों, विचाराधीन और जमानत के मामलों में महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है. रजिस्ट्रार जनरल ज्यूडिशियल ने अपने आदेश में कहा है कि जमानत के मामले में एक सप्ताह के भीतर संबंधित न्यायालय को फैसला सुनाना होगा.

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इसके अलावा पेंडेंसी खत्म करने के संबंध में जरूरी गाइड लाइन भी जारी की ह. आरजी ज्यूडिशियल ने आदेश पत्र में कहा है कि जमानत आवेदनों पर संबंधित न्यायालयों को एक सप्ताह के भीतर अपना फैसला सुनाना होगाा. अनावश्यक विलंब से संबंधितों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.

इसके अलावा पेंडेंसी भी अनावश्यक रूप से बढ़ते जाता है. आरजी ज्यूडिशियल ने अपने आदेश में यह भी लिखा है कि सत्र विचाराधीन मामलों और मजिस्ट्रेट विचाराधीन मामलों को क्रमशः दो साल और छह महीने के भीतर निपटाया जाना है.

छत्तीसगढ़ राज्य के जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों में पुराने लंबित मामलों, विचाराधीन मामलों, जमानत मामलों, अंतरिम आदेश पारित किए गए मामलों और विशेष श्रेणी के मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए कुछ इस तरह का उपाय किया जाना है.

पोर्टफोलियों जज को देनी होगी जानकारी

पुराने लंबित मामलों और अन्य प्राथमिकता वाले मामलों और आवेदनों का शीघ्र निपटारा किया जाना है. बैठकों का विवरण तैयार करना होगा और संबंधित जिलों के पोर्टफोलियो न्यायाधीशों या विलंब और बकाया मामलों के लिए समिति के अध्यक्ष के समक्ष अवलोकन के लिए रखना होगा.

ये हैं गाइड लाइन

जिला और अधीनस्थ न्यायालयों को संबंधित जिलों के लिए निर्धारित 30.04.2018 और 30.06.2018 तक 10 साल से अधिक पुराने लंबित मामलों के निपटारे के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी विशिष्ट योजना बनानी है.

संबंधित जिलों के लिए निर्धारित 30.09.2018 और 30.11.208 तक 05 से 10 साल के बीच लंबित मामलों के निपटारे के लक्ष्य को प्राप्त करना है. जमानत आवेदनों पर एक सप्ताह के भीतर फैसला किया जाना है, और सत्र विचाराधीन मामलों और मजिस्ट्रेट विचाराधीन मामलों को क्रमशः दो साल और छह महीने के भीतर निपटाया जाना है.

10 वर्ष से अधिक अवधि से लंबित, 05 से 10 वर्ष की अवधि के बीच लंबित, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत आने वाले मामले, विचाराधीन मामले, जमानत मामले, ऐसे मामले जिनमें अंतरिम आदेश पारित हो चुके हैं तथा महिलाओं, बच्चों, दिव्यांग व्यक्तियों, वरिष्ठ नागरिकों एवं समाज के वंचित वर्गों के विरुद्ध अपराध से संबंधित मामलों की सूची तैयार की जाए. इस सूची की प्रत्येक पीठासीन अधिकारी द्वारा हर माह समीक्षा की जाए.

प्रत्येक पीठासीन अधिकारी को पुराने लंबित मामलों के प्रकारों की पहचान करनी है, देरी का सही कारण पता लगाना है. सभी पुराने लंबित मामलों में आदेश पत्र पीठासीन अधिकारियों द्वारा स्वयं दर्ज किए जाएंगे. जहां भी संभव हो, जटिल मामलों को वरिष्ठ एवं अधिक अनुभवी न्यायिक अधिकारियों को सौंपा जा सकता है.

जिन मामलों में उच्च न्यायालय या अन्य अपीलीय या पुनरीक्षण न्यायालय द्वारा कार्यवाही स्थगित कर दी गई है, उनमें कार्यवाही को नियमित रूप से लंबी तारीख देकर स्थगित नहीं किया जाएगा, बल्कि प्रत्येक तारीख को पीठासीन अधिकारी मामले की कार्यवाही की स्थिति की जांच करेगा.

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