महाकाल नगरी उज्जैन में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां तीन मंजिली इमारत में संचालित पूरा का पूरा अस्पताल ही अवैध है. यहां जो डॉक्टर भी हैं तो उनके पास दांतों के इलाज की डिग्री है, लेकिन वह हड्डियों का इलाज कर रहे थे. यही नहीं, अन्य बीमारियों के मरीज भी इस अस्पताल में भर्ती पाए गए. स्वास्थ्य विभाग की छापेमारी में पूरे मामले का खुलासा होने के बाद विभागीय अधिकारियों ने सभी मरीजों को दूसरे अस्पतालों में रैफर कर इस अस्पताल को सील कर दिया है.
मामला उज्जैन में उन्हेल रोड पर ढाबला फंटा के पास स्थित कैयरो केयर एवं हेल्थ वेलनेस सेंटर का है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस समय जिले में दुकान चला रहे झोला छाप डॉक्टरों की जांच कराई जा रही है. इस दौरान उन अस्पतालों की भी जांच हो रही है, जिनका रजिस्ट्रेशन नहीं है. इसी क्रम में मंगलवार को विभाग की टीम कैयरो केयर अस्पताल पहुंची. माधव नगर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विक्रम रघुवंशी के नेतृत्व में यहां आई टीम ने इस अस्पताल के मालिक की डिटेल मांगी तो बताया गया कि वह डेंटिस्ट हैं.
नहीं मिली अस्पताल खोलने के लिए पर्याप्त डिग्री
सार्टिफिकेट मांगा गया तो पता चला कि अस्पताल के मालिक तो जितेंद्र परमार हैं, लेकिन डिग्री डॉ. सिलोदिया की है. इस अस्पताल में जितेंद्र परमार की ढेर सारी डिग्रियां लगाई गई थीं. हालांकि इनमें से एक भी डिग्री ऐसी नहीं थी, जिसके दम पर वह अस्पताल का संचालन कर सकें. टीम प्रभारी डॉ. रघुवंशी के मुताबिक अस्पताल में लैब के साथ ही एक्सरे, पैथोलॉजी और दो मेडिकल स्टोर भी संचालित होते पाए गए. इसके लिए भी जितेंद्र परमार के पास कोई लाइसेंस नहीं था.
नहीं दे पाए पढ़ाई के सबूत
उन्होंने बताया कि इस संबंध में जितेंद्र परमार से पूछताछ की गई तो उन्होंने कभी कहा कि अफ्रीका से पढ़ाई की है तो कभी जापान का नाम लिया. ऐसे में उनका पासपोर्ट वीजा मांगा गया तो वह कहने लगे कि ऑनलाइन पढ़ाई की है. हालांकि वह ऑन लाइन पढ़ाई के भी सबूत नहीं दे सके. ना ही वह इंडियन मेडिकल काउंसिल और मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल में अपना रजिस्ट्रेशन तक दिखा पाए. इसके बाद टीम ने अस्पताल के वार्डों में घूमकर देखा तो वहां स्थिति और भी खतरनाक नजर आई.
दर्द के मरीजों को हाईडोज इंजेक्शन
इस अस्पताल में कमर और जोड़ों में दर्द, गठिया, स्लिप डिस्क समेत अन्य कई बीमारियों के मरीज भर्ती थे. इन मरीजों को इलाज के नाम पर हाई डोज के इंजेक्शन दिया जा रहा था. इससे मरीजों को तात्कालिक राहत तो मिल रही थी, लेकिन लांग टर्म में उनकी किडनी खराब होने का खतरा था. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सभी मरीजों को तत्काल दूसरे अस्पताल के लिए रैफर किया और इस अस्पताल को सील कर दिया है.