विदेश मंत्री एस जयशंकर टीपू सुल्तान पर लिखी एक किताब के विमोचन में शामिल हुए. इतिहासकार विक्रम संपत की लिखी किताब ‘टीपू सुल्तान: द सागा ऑफ मैसूर इंटररेग्नम 1761-1799’ का शनिवार को विमोचन हुआ. इस दौरान विदेश मंत्री ने कहा, इतिहास “जटिल” है और आज की राजनीति अक्सर तथ्यों को अपने हिसाब से चुनने में लगी रहती है और टीपू सुल्तान के मामले में काफी हद तक ऐसा हुआ है.
उन्होंने कहा कि मैसूर में टीपू सुल्तान के शासन के बारे में धारणा ज्यादा बेहतर नहीं है, लेकिन इतिहास में एक ही तरफ फोकस किया गया है और उनकी अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी लड़ाई पर ज्यादा ध्यान दिया गया है. साथ ही उनके शासन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है.
“एक खास तरह का नैरेटिव बनाया गया है”
Delhi: EAM S Jaishankar at Book Launch “Tipu Sultan: The Saga of Mysore’s Interregnum says, ''Tipu's expectations of his foreign partners and the incentives he offered them reveal insights into this concept. Additionally, there are lessons on the importance of accurately… pic.twitter.com/sDNWILFxQe
— IANS (@ians_india) November 30, 2024
विदेश मंत्री ने दावा किया कि मैसूर के पूर्व शासक टीपू सुल्तान के बारे में एक खास तरह का नैरेटिव बनाया गया है. जयशंकर ने कहा कि कुछ बुनियादी सवाल हैं जो आज हम सभी के सामने हैं कि हमारे इतिहास का कितना हिस्सा छुपाया गया है, कितने अजीब मुद्दों को छोटा कर के पेश किया गया है और कैसे “तथ्यों को शासन की सुविधा के लिए तैयार किया गया है.
“पिछले 10 सालों में आया बदलाव”
विदेश मंत्री ने कहा, पिछले 10 सालों में हमारे देश की राजनीति में दूसरे नजरियों को भी जगह दी गई है. अब हम अब वोट बैंक की राजनीति के कैदी नहीं हैं. प्रधानमंत्री मोदी की सरकार के तहत अब भारत में अल्टरनेटिव व्यू पॉइंट को जगह मिली है. पिछले 10 सालों में राजनीतिक व्यवस्था में आए बदलावों के कारण अल्टरनेटिव व्यू पॉइंट सामने आए हैं. जयशंकर ने कहा कि वे टीपू सुल्तान पर इस पुस्तक में दी गई जानकारी और अंतर्दृष्टि से प्रभावित हुए हैं.
“टीपू सुल्तान एक जटिल व्यक्ति”
जयशंकर ने कहा कि टीपू सुल्तान भारतीय इतिहास में एक “जटिल व्यक्ति” हैं. एक तरफ, वो एक प्रमुख व्यक्ति थे जिन्होंने भारत पर ब्रिटिश औपनिवेशिक के शासन का विरोध किया. और दूसरी तरफ यह भी तथ्य है कि उनकी हार और मृत्यु को भारत के भाग्य के लिए एक अहम मोड़ माना जा सकता है. जयशंकर ने कहा, सभी समाजों में इतिहास जटिल है और आज की राजनीति अक्सर अपने मुताबिक तथ्यों को चुनने में लगी रहती है. काफी हद तक टीपू सुल्तान के मामले में ऐसा हुआ है.
जयशंकर ने आगे कहा कि इसमें कोई संदेह की बात नहीं है कि टीपू सुल्तान ब्रिटिश विरोधी थे, लेकिन यह कितना अंतर्निहित था और कितना उनके स्थानीय प्रतिद्वंद्वियों के साथ गठबंधन की वजह से था इसके बारे में जानना मुश्किल है. उन्होंने कहा, कई मुद्दों पर धर्म आधारित समर्थन के लिए उन्होंने तुर्की, अफगानिस्तान और ईरान के शासकों से संपर्क किया, शायद सच्चाई यह है कि “अब हम सभी में राष्ट्रीयता की भावना है, जो तब थी ही नहीं.
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