सुप्रीम कोर्ट ने लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से सबंध रखने वाले किशोर की जमानत याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने किशोर के खिलाफ 5 करोड़ रुपये की फिरौती मांगने, धमकी देने और आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त होने के गंभीर आरोपों और छह लंबित मामलों के आधार पर यह निर्णय सुनाया.
जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन ने कहा कि किशोर को समाज के लिए गंभीर खतरा माना जा रहा है, क्योंकि वह हत्या के प्रयास, फिरौती, आपराधिक धमकी और अवैध हथियार रखने के मामलों में पहले से उलझा हुआ है.
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लॉरेंस बिश्नोई गैंग से संबंध रखने वाले किशोर को नहीं मिली जमानत
राजस्थान सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता शिव मंगल शर्मा और अधिवक्ता सौरभ राजपाल ने काउंटर एफिडेविट में तर्क दिया कि किशोर एक आदतन अपराधी है और उसका परिवार उसे नियंत्रित करने में असमर्थ है. उन्होंने जोर देकर कहा कि किशोर लॉरेंस बिश्नोई गिरोह का सक्रिय सदस्य है और जमानत मिलने पर वह फिर से अपराध में शामिल हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि मुकदमे की कार्यवाही में तेजी लाई जाए ताकि न्याय शीघ्र सुनिश्चित हो सके. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि न्यायपालिका का कर्तव्य है कि ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई की जाए और आरोपी की जमानत से समाज में खतरा न फैलने दिया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने किशोर को समाज के लिए गंभीर खतरा माना
यह मामला 10 दिसंबर 2022 को सांगानेर पुलिस स्टेशन, जयपुर में दर्ज हुआ था, जिसमें आरोपी ने व्हाट्सएप कॉल और संदेशों के माध्यम से जयपुर के एक प्रमुख प्रॉपर्टी डीलर से 5 करोड़ रुपये की फिरौती की मांग की थी और जान से मारने की धमकी दी थी. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के खिलाफ सख्त कार्रवाई का संकेत देता है, जिससे मुकदमे में तेजी लाने का आदेश भी दिया गया है.