दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है, जिसने खुद को आईएएस अधिकारी बताकर लोगों और संस्थानों को करोड़ों रुपये का चूना लगाया। आरोपी ने कई फर्जी ट्रस्ट और कंपनियां बनाकर नकली टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से ठगी की।
पुलिस के अनुसार, आरोपी ने अपने फर्जी आईएएस का परिचय देकर सरकारी अधिकारियों और व्यवसायियों को प्रभावित किया। उसने दावा किया कि वह विभिन्न परियोजनाओं और सरकारी योजनाओं में टेंडर जारी कर सकता है और इसके बदले में मोटी रकम वसूली। कई लोगों ने उसकी बातों पर विश्वास कर उन्हें करोड़ों रुपये देने पड़ गए।
जांच में पता चला कि आरोपी ने फर्जी ट्रस्ट की स्थापना कर उससे जुड़े दस्तावेज और कागजात तैयार किए, जिससे उसकी पहचान पूरी तरह आईएएस अधिकारी जैसी लग रही थी। इसके अलावा, उसने नकली फंड ट्रांसफर और बैंकिंग दस्तावेजों का इस्तेमाल कर ठगी को और प्रभावी बनाया।
पुलिस ने बताया कि शिकायत मिलने के बाद उन्हें आरोप के सबूत जुटाने में कुछ समय लगा। आरोपी की क्रियाओं की जांच के दौरान पता चला कि उसने केवल दिल्ली ही नहीं बल्कि कई राज्यों में फर्जी टेंडर और ठगी के मामलों को अंजाम दिया था।
गिरफ्तारी के बाद आरोपी को जेल भेज दिया गया है और पुलिस ने उसकी संपत्ति और बैंक खातों की भी जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि इस केस से लोगों को सतर्क रहने की सीख मिलती है, क्योंकि ऐसे लोग सरकारी पदों का नाम लेकर आसानी से लोगों को ठग सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी योजनाओं और टेंडरों में इस तरह की ठगी रोकने के लिए लोगों को पूरी तरह सत्यापन करना चाहिए। इस घटना ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी बड़े निवेश या सरकारी योजना में शामिल होने से पहले प्रमाणिक दस्तावेज और अधिकारिक पुष्टि अनिवार्य है।
दिल्ली पुलिस अब पूरे मामले की विस्तृत जांच कर रही है और यह देख रही है कि आरोपी ने और कितने लोगों को फंसाया। इस घटना ने न केवल वित्तीय नुकसान बल्कि सामाजिक विश्वास को भी हिला दिया है, जिससे लोगों में सरकारी प्रक्रिया और अधिकारियों के प्रति सतर्कता बढ़ गई है।