दिल्ली पुलिस ने 400 स्कूलों में बम की झूठी कॉल करने वाले बच्चे को पकड़ा है. पुलिस अब इस एंगल पर जांच कर रही है कि इस बच्चे के पीछे कहीं कोई और तो नहीं जो मेल करवा रहा है. पुलिस के मुताबिक इस बच्चे का परिवार एक NGO के संपर्क में था. ये वही NGO है जो अफ़ज़ल गुरु की फांसी का विरोध कर रहा था.
माहौल बिगाड़ने की नीयत से तो कोई मेल नहीं करा रहा- पुलिस
पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि एक साथ 250 स्कूल में जो मेल आया था, उसके पीछे भी यही बच्चा है. पुलिस का कहना है कि जांच में ये पता कर रहे हैं कि कहीं जानबूझ कर कानून व्यवस्था को खराब करने की नीयत से तो बच्चे से कोई मेल नहीं करवा रहा था.
NGO के एंगल पर भी जांच कर रही पुलिस
पुलिस इस जांच में जुट गई है कि इसके पीछे कोई गहरी साजिश तो नहीं है. साथ ही पुलिस यह भी जांच कर रही है कि NGO का रोल है या नहीं है. पुलिस को बच्चे के पीछे किसी और के होने का शक इस वजह से है कि क्योंकि नाबालिग जिस तरह के टेक्निकल शब्दों का इस्तेमाल कर रहा था, वो किसी शातिर के हो सकते हैं.
आतंकी ग्रुप के शामिल होने का भी शक
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सीपी मधुप तिवारी ने बताया कि स्कूलों में लगातार 12 फरवरी 2024 से मास मेल आ रही थीं. स्कूलों को मेल्स के चलते कई बार एग्जाम और टेस्ट कैंसिल करने पड़ रहे थे. ये मेल्स बहुत ही एडवांस तकनीक से भेजे जा रहे थे. ऐसा भी लगता था कि कहीं इसके पीछे कोई आतंकी ग्रुप न हो.
पुलिस ने बच्चे को ऐसे खोज निकाला
मधुप तिवारी ने बताया कि 8 जनवरी 2025 को जो लास्ट ईमेल आई थी, इसी मेल्स से हम भेजने वाले बच्चे की पहचान कर पाए. बच्चे के लैपटॉप की फोरेंसिक जांच से पता चला कि बच्चे ने 400 से ज्यादा इमेल्स भेजी थीं. हमें शक हो रहा था कि एक बच्चा ये कैसे कर सकता है. इसलिए हमने आगे की जांच शुरू की. जांच में पता चला कि बच्चे के पिता एक NGO से जुड़े हैं, ये NGO एक पॉलिटिकल पार्टी के लिए काम करता है.
NGO से जुड़े तार
पुलिस जांच में पता चला कि ये वही NGO है जो अफजल गुरु की फांसी का विरोध कर रहा था. हम NGO की भूमिका से इस धमकी भरे मेल्स के मामले में जांच कर रहे हैं. मधुप तिवारी ने बताया कि पॉलिटिकल पार्टी और NGO के संबंधों के बारे में जांच कर रहे हैं. हम इस मामले में बड़ी साजिश की जांच कर रहे हैं. कई बार जब मेल भेजे गए तब स्कूल में एग्जाम नहीं थे, इसलिए मोटिव की जांच हम अभी कर रहे हैं. जानकारी में यह भी सामने आया है कि बच्चे ने डार्क वेब और VPN का इस्तेमाल किया.