कर्नाटक के बेल्लारी जिले के एक सरकारी अस्पताल में चंद्र ग्रहण के दौरान प्रसव पीड़ा से जूझ रही गर्भवती महिलाओं ने बच्चे को जन्म देने से इनकार कर दिया, जिससे मां और शिशु दोनों के जीवन को खतरा उत्पन्न हो गया। अस्पताल में प्रसव पीड़ा से कराहती महिलाएं ऑपरेशन रूम जाने के बजाय ग्रहण समाप्त होने तक इंतजार करने की मांग करती रहीं। डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन को महिलाओं को मनाने और स्थिति नियंत्रित करने में कड़ी मेहनत करनी पड़ी।
अस्पताल सूत्रों के अनुसार, गर्भवती महिलाओं का दावा था कि चंद्र ग्रहण के दौरान प्रसव कराना नवजात और मां दोनों के लिए जोखिम भरा हो सकता है। इसके बावजूद डॉक्टरों ने उन्हें समझाया कि अगर दर्द शुरू होने के तुरंत बाद प्रसव नहीं कराया गया तो गंभीर स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं। कुछ महिलाओं में ऑक्सीजन स्तर गिरने लगा, जिससे स्थिति और नाजुक हो गई।
बेल्लारी के जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रमेश बाबू वाई ने बताया कि गर्भावस्था या प्रसव के दौरान महिलाओं को अशुभ मुहूर्त के अंधविश्वासों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले चंद्र ग्रहण के दौरान भी अस्पताल के चिकित्सा कर्मचारियों ने बिना हिचकिचाहट अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए कई प्रसव कराए।
आपातकालीन प्रयासों और परिवार वालों के समझाने के बाद अंततः महिलाएं प्रसव के लिए राजी हुईं। डॉक्टरों ने समय पर हस्तक्षेप करके माताओं और नवजात की जान बचाई। इस घटना ने स्वास्थ्य क्षेत्र में अंधविश्वासों के खतरों और चिकित्सकीय सचेतना की आवश्यकता को उजागर किया।
डॉ. रमेश बाबू ने जोर देकर कहा कि माताओं और परिवारों को शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से अंधविश्वास से मुक्त करना आवश्यक है। उन्होंने अपील की कि स्वास्थ्य संकट के समय केवल वैज्ञानिक और चिकित्सकीय सलाह पर भरोसा किया जाए।