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यासीन मलिक को मौत की सजा की मांग, NIA की याचिका पर सुनवाई से इस जज ने खुद को किया अलग

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक के लिए मृत्युदंड की मांग करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की है. मलिक वर्तमान में आतंकी फंडिंग मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. हालांकि, गुरुवार को हाईकोर्ट के एक जज ने एनआईए की अपील वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया.

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दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस अमित शर्मा ने गुरुवार को यासीन मलिक की मृत्युदंड की एनआईए की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग करने का फैसला किया. इसके बाद मामले को जस्टिस प्रतिभा एम सिंह की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया है.

तिहाड़ जेल से ही यासीन मलिक को पेश किया जाएगा

हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि मामले को जस्टिस शर्मा को छोड़कर किसी अन्य बेंच के सामने 9 अगस्त को लिस्ट किया जाए. मलिक को इस सुनवाई में अगली तारीख को तिहाड़ जेल से ही वर्चुअली पेश किया जाएगा.

एनआईए ने यासीन मलिक के लिए मौत की सजा की मांग की

मई 2022 में, एक ट्रायल कोर्ट ने अलगाववादी यासीन मलिक को यूएपीए और आईपीसी के तहत आरोपों में दोषी पाए जाने के बाद आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. एनआईए ने इस सजा के खिलाफ अपील की है, जिसमें तर्क दिया गया है कि दोषी पाए जाने वाले आतंकवादियों को नरमी नहीं दी जानी चाहिए और इस मामले में मौत की सजा दी जानी चाहिए.

ट्रायल कोर्ट ने एनआईए की मांग को खारिज किया था

एजेंसी ने दावा किया है कि मलिक के अपराध “दुर्लभतम” श्रेणी में नहीं आते हैं, जिसके लिए आजीवन कारावास की सजा दी जानी चाहिए. हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने एनआईए की मौत की सजा की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि मलिक के अपराधों ने “आइडिया ऑफ इंडिया के हार्ट पर चोट किया है”, लेकिन यह मामला मौत की सजा देने के लिए “दुर्लभतम” के रूप में योग्य नहीं है.

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