ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन काफी समय से एक अलग प्रशासन या राज्य की मांग कर रहा है, उसकी स्थानीय लोगों से चुनाव का बहिष्कार की अपील के बाद नागालैंड के छह जिलों में लगभग शून्य फीसदी मतदान दर्ज किया गया है। ये समूह वर्ष 2010 से छह पिछड़े जिलों को मिलाकर एक अलग प्रशासन या राज्य की मांग कर रहे हैं। उत्तर-पूर्वी राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी ने चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए ईएनपीओ को नोटिस जारी किया है।
बता दें कि चार लाख से ज्यादा वोटर और 738 मतदान केंद्र। फिर भी जीरो वोटिंग। जहां ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ENPO) की धमकी के बाद एक भी वोटर घर के बाहर नहीं निकला। दिलचस्प बात यह है कि इन 6 जिलों के 20 विधायकों ने भी वोट नहीं डाला।
दरअसल, संगठन नगालैंड से अलग होकर फ्रंटियर नगालैंड बनाने की मांग कर रहा है। इसे लेकर मोन, द्वेसांग, किफिरे, लोंगलेंग, नोकलाक और शामाटोर जिलों में बीते दो महीने से लगभग सब कुछ बंद है। बाजार बमुश्किल खुल रहे हैं और स्कूल जब संगठन कह दे, तब बंद कर दिए जा रहे हैं।
यहां के हालात पर जब नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो से बात की गई तो उन्होंने दो टूक कह दिया कि स्थानीय लोगों ने वही किया, जो उन्हें अच्छा लगा। सरकार इस मुद्दे पर ENPO के साथ कोई टकराव नहीं चाहती। इसलिए हम ज्यादा दखल नहीं देंगे।
आम लोग बोले- सरकारी दफ्तरों में हाजिरी लग रही, काम बंद
मोन जिले के निवासी एन. खोंगजाम ने बताया कि 6 जिलों में कभी आंशिक तो कभी बेमियादी बंद ने हमारी कमर तोड़ दी है। इससे जनजीवन और धंधा बंद है। फिर भी लोग ENPO का साथ दे रहे हैं।
मोन जिले के अंगजंगयांग गांव के रहने वाले एलके चिशी राजधानी कोहिमा में एक निजी फर्म में नौकरी करते हैं। परिवार गांव में ही रहता है। वह बताते हैं कि बंद के चलते राशन सप्लाई निरंतर नहीं होपा रही है। जरूरी वस्तुएं पड़ोसी राज्यों से नहीं आ पा रही हैं, क्योंकि नाकों पर भी बंदी हो रही है।
ENPO का आरोप- बंद के लिए सरकार जिम्मेदार
ENPO प्रमुख आर. सापिकिउ सांगताम का कहना है कि हम हिंसा नहीं चाहते, इसलिए हमने चुनाव पर बंद वापस ले लिया था। ईएनपीओ के सचिव डब्ल्यू मावांग कोन्याक का कहना है कि गतिरोध के लिए सरकार का रवैया जिम्मेदार है।