एक तरफ नकाब और हिजाब को लेकर सियासत हो रही है. धर्म गुरुओं का कहना है कि नकाब और हिजाब का इस्तेमाल सादगी और धार्मिकता के लिए होना चाहिए न कि फैशन या आकर्षण का साधन बनने के लिए. इस्लाम एक ऐसा धर्म है, जो महिलाओं को उच्च सम्मान और सुरक्षा प्रदान करने पर जोर देता है.
जमीयत दावतुल मुसलमीन के संरक्षक व प्रसिद्ध आलिम-ए-दीन मौलाना कारी इस्हाक गोरा ने कहा कि महिलाओं को कीमती और सम्माननीय माना गया है और उनकी इज्जत और प्रतिष्ठा को सुरक्षित रखने के लिए पर्दे की व्यवस्था की गई है. पर्दा केवल बाहरी आडंबर नहीं बल्कि एक ऐसा माध्यम है, जो महिला और पुरुष दोनों को नैतिकता और शालीनता के उच्चतम स्तर पर बनाए रखने में मदद करता है. पर्दे का मूल उद्देश्य महिलाओं को गैर-जरूरी ध्यान और गलत नजरों से बचाना है. यह उनकी गरिमा और स्वाभिमान की रक्षा करता है.
जो पर्दे के असल मकसद के खिलाफ है बाजार के नकाब
मौलाना कारी इस्हाक गोरा ने कहा कि आजकल बाजार में उपलब्ध नकाब और हिजाब के डिजाइनों ने इस्लामिक शिक्षाओं के इस मूल उद्देश्य को कहीं न कहीं दरकिनार कर दिया है. नक़ाब पर लिखे गए सजावटी शब्द, नाम, और कलात्मक डिजाइन अक्सर ध्यान आकर्षित करने का साधन बनते हैं, जो पर्दे के असल मकसद के खिलाफ है. ऐसे नकाब पहनने का न तो धार्मिक लाभ है और न ही यह महिलाओं को उस सुरक्षा और इज्जत की भावना प्रदान करता है, जो इस्लाम ने उनके लिए सुनिश्चित की है.
‘शालीनता अपनाने की सलाह देता है इस्लाम’
आलिम-ए-दीन मौलाना कारी इस्हाक गोरा ने इस विषय पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे नकाब और हिजाब, जो आकर्षण का कारण बनते हैं, वे इस्लाम की शिक्षा के खिलाफ हैं. उन्होंने बताया कि इस तरह के नकाब पहनना न केवल बेकार है बल्कि यह गुनाह का कारण भी बन सकता है. इस्लाम महिलाओं को सादगी और शालीनता अपनाने की सलाह देता है.
क्या है नकाब का उद्देश्य?
नकाब का उद्देश्य ध्यान आकर्षित करना नहीं बल्कि एक सम्मानजनक और सुरक्षित वातावरण तैयार करना है.
इस्लाम में महिलाओं को अपने पर्दे को इस प्रकार रखना चाहिए कि उनकी गरिमा बनी रहे और उनकी इज्जत पर कोई सवाल न उठे. सजावटी या आकर्षक नकाब पहनने से पुरुषों का ध्यान महिलाओं की ओर खिंचता है, जो पर्दे के उद्देश्यों के विपरीत है.
गैर-आकर्षक पोशाक पहनने की हिदायत देती हैं इस्लामिक शिक्षाएं
इस्लामिक शिक्षाएं महिलाओं को सादगी और गैर-आकर्षक पोशाक पहनने की हिदायत देती हैं. मौलाना कारी इस्हाक गोरा ने न केवल महिलाओं से बल्कि पुरुषों से भी अपील की है कि वे अपने घर की महिलाओं को ऐसे नकाब और हिजाब पहनने से रोकें. उन्होंने कहा कि यह हर मुस्लिम व्यक्ति की ज़िम्मेदारी है कि वह अपनी बहनों, बेटियों और पत्नियों को इस्लाम की सच्ची शिक्षाओं पर चलने की प्रेरणा दे.
सादगी और धार्मिकता के लिए होता है नकाब
नकाब और हिजाब का इस्तेमाल सादगी और धार्मिकता के लिए होना चाहिए न कि फैशन या आकर्षण का साधन बनने के लिए. महिलाओं को समझना चाहिए कि पर्दा केवल एक कपड़ा नहीं बल्कि एक जीवनशैली है, जो उन्हें समाज में सम्मान के साथ जीने का हक देता है. इसके विपरीत अगर नकाब और हिजाब का इस्तेमाल ध्यान आकर्षित करने के लिए किया जाता है तो यह उनके सम्मान को कम करता है. इस्लाम की सच्ची शिक्षाओं का पालन करना हर मुसलमान का कर्तव्य है. मुस्लिम महिलाएं यदि सादगी, शालीनता, और इस्लामिक उसूलों के अनुसार नकाब और हिजाब का पालन करेंगी तो यह न केवल उनकी खुद की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा बल्कि पूरे समाज के लिए एक आदर्श बनेगा.